आग्रह से नहीं आदर से चलते हैं परिवार
कनकिया लेवल्स में आयोजित परिवार प्रशिक्षण कार्यशाला में साध्वी डॉ. मंगलप्रज्ञाजी ने कहा- हर व्यक्ति अपने परिवार में सुख-शांति चाहता है। चाहने और पाने में अन्तर होता है। प्रश्न उपस्थित होता है- जो हम चाहते हैं, उसे कैसे प्राप्त करें? अतीत में यौगलिक परम्परा थी, जैसे-जैसे सभ्यता बढ़ी, विचारों में परिवर्तन हुआ, समूह में रहना प्रारंभ हुआ। परिवार व्यवस्था व्यक्ति के भीतर सुरक्षा का भाव पैदा करने वाली है। यह निश्चित है, जहां विस्तार होता है, वहां विचार भी अलग-अलग होते हैं। आज दूरियां भी तकरार का कारण बन रहा है।
परिवार में बड़े-बुजुर्ग और अनुभवी होते हैं, उनका अपना महत्व है। आज परिवार में रहने वाले सदस्य बुजुर्गों से छुटकारा चाहते हैं। 'हम जो कर रहे हैं, वह 100 प्रतिशत सत्य है', ऐसे आग्रह से परिवार में सुख-चैन नहीं हो सकता, परिवार हमेशा आदर से चला करते हैं। छोटों के प्रति वात्सल्य भाव और बड़ों के प्रति विनम्रता से परिवार में सौहार्द के सुमन खिलते हैं। समझदारी और विवेक से सम्बन्धों को निभाने वाले ही आनन्द का जीवन जी सकते हैं। परिवार का हर सदस्य यह संकल्प करे कि परस्पर किसी का दिल न दुखाए। स्वयं बदलाव का संकल्प करें, आत्मनिरीक्षण करें।
साध्वीश्री ने प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा- कभी वैमनस्य की स्थिति बन जाए तो क्षमा का सूत्र अपनाएं। जिस प्रकार आप साल के कैलेण्डर को बदलते हैं, वैसे ही हर दिन का कैलेण्डर बदलें। अपनी गलती के लिए झुकना सीखें, अनमोल रिश्तों की मिठास के लिए, स्थायित्व के लिए झुकें। धर्म को उपासना तक ही नहीं, जीवन व्यवहार में भी लाएं। कनकिया महिला ग्रुप ने साध्वीवृन्द का स्वागत सामूहिक संगान से किया। तेरापंथ युवक परिषद्, मलाड़ के प्रचार मंत्री शांति धोका ने साध्वी श्री का भावपूर्ण स्वागत किया। साध्वी सुदर्शनप्रभाजी, साध्वी राजुलप्रभाजी एवं साध्वी शौर्यप्रभाजी ने ‘परिवार उसी को कहते हैं’ गीत का संगान किया। साध्वी शौर्यप्रभाजी ने अपने वक्तव्य में कहा- स्वस्थ परिवार और आनंदमय जीवन के लिए अनेकान्त सिद्धांत को समझना आवश्यक है। इस अवसर पर तेरापंथ सभा, मुंबई के अध्यक्ष माणकचंद धींग ने विचार व्यक्त किए। कार्यक्रम का संचालन साध्वी सुदर्शनप्रभाजी ने किया।