संस्कार बोध कार्यशाला का आयोजन
मुनि जिनेश कुमार जी ठाणा- 3 के सान्निध्य में संस्कार बोध कार्यशाला का आयोजन तेरापंथ युवक परिषद् उत्तर कलकत्ता द्वारा किया गया। इस अवसर पर मुनि जिनेशकुमार जी ने कहा- संस्कार दो प्रकार के होते हैं- नैसर्गिक व अधिगमज। हम सौभाग्यशाली हैं क्योंकि हमें जैन धर्म व तेरापंथ धर्मसंघ के संस्कार विरासत में मिले हैं। श्रावक समाज को संघीय संस्कारों का बोध होना बहुत जरूरी है। हम जैन हैं, तेरापंथी हैं, वैसा ही आचरण भी होना चाहिए। भीतर में व बाहर जैनत्व झलकना चाहिए।
रहन-सहन, खान-पान, वस्त्र-परिधान स्वस्थ रहना चाहिए। माला फेरना, चारित्रात्माओं को वंदना करना, बातचीत करना, गोचरी करवाना, भावना भाना आदि का विवेक होना चाहिए। मुनिश्री ने प्रतिकमण, प्रतिलेखन, पाड़िहारिय आदि की जानकारी दी। कार्यक्रम का शुभारंभ मुनि कुणाल कुमार जी द्वारा गीत के संगान से हुआ। स्वागत भाषण तेरापंथ युवक परिषद अध्यक्ष मनीष बरडिया ने दिया। आभार ज्ञापन मंत्री प्रदीप हिरावत ने किया। संचालन मुनि परमानंदजी ने किया।