आचार्यश्री महाप्रज्ञ के 105वें जन्म दिवस पर विविध आयोजन
'अभ्यर्थना अध्यात्म के हिमालय की' कार्यक्रम 'शासनश्री' साध्वी मधुरेखाजी के सान्निध्य में मनाया गया। कार्यक्रम का शुभारंभ नमस्कार महामंत्र से हुआ। बहनों ने मंगलाचरण एवं महिला मंडल की सदस्याओं ने श्रद्धागीत प्रस्तुत किया। साध्वी श्री ने कहा कि कालजयी व्यक्तित्व के धनी बालक नत्थू ने 10 वर्ष की उम्र में परम पूज्य कालुगणी के चरणों में अपनी जीवन की पतवार सौंप दी। मुनि तुलसी के संरक्षण में रहकर जीवन को संवारते गये। अनेक रोचक संस्मरणों को बताते हुए साध्वीश्री ने कहा- आचार्यश्री महाप्रज्ञजी विनम्रता, समर्पण व संकल्प शक्ति से मुनि नथमल से आचार्य महाप्रज्ञ बन गये। तलहटी से शिखर तक की यह यात्रा लाखों व्यक्तियों के लिए आकर्षण का केन्द्र बन गई। साध्वी सुव्रतयशाजी ने वक्तव्य एवं साध्वी मधुयशाजी ने कविता के माध्यम से अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम का संचालन सुरेन्द्र सेठिया ने किया।