आचार्यश्री महाप्रज्ञ के 105वें जन्म दिवस पर विविध आयोजन
उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमलकुमार जी के सान्निध्य में प्रज्ञा पुरुष तेरापंथ धर्मसंघ के दशमेश आचार्यश्री महाप्रज्ञजी का 105वां जन्मदिवस बड़े ही हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। कार्यक्रम में मुनिश्री ने अपने उद्गार प्रकट करते हुए फरमाया कि सरलता, स्वच्छता, सहिष्णुता, सहजता, समन्वय नीति के पोषक, विनय, विद्या, विवेक के पारावर थे आचार्यश्री महाप्रज्ञजी। आचार्य महाप्रज्ञजी की कर्त्तव्य परायणता, गुरुभक्ति अपने आप में बेजोड़ थी। उनके द्वारा लिखित, सम्पादित साहित्य आज तेरापंथ और जैन धर्म के लिए ही नहीं जन-जन के लिए उपयोगी बना है। प्रेक्षाध्यान और जीवन विज्ञान के द्वारा उन्होंने जन-जन को सुख-शांति और आनंदमय जीवन जीना सिखाया। वे जितने कालूगणी के कृपापात्र थे, उससे ज्यादा आचार्यश्री तुलसी के कृपापात्र बने और आध्यात्मिक वैज्ञानिक दृष्टिकोण के कारण देश के ही नहीं अपितु विश्व के शीर्षस्थ लोगों के लिए श्रद्धा के स्थान बने।
कार्यक्रम का प्रारम्भ मुनि राकेशकुमारजी के मंगलाचरण से हुआ। मुनि अमनकुमारजी ने स्वरचित गीत का संगान किया। सागर इंटोदिया ने स्वागत वक्तव्य दिया। युवक परिषद, कन्या मंडल ने मधुर गीतों का संगान किया। महिला मंडल द्वारा शब्द चित्र की प्रस्तुति हुई। मदन कोठारी, जतन डागा आदि ने भी अपने सारगर्भित विचार प्रकट किए। महाप्रज्ञ चालीसा का सामूहिक संगान हुआ।