आचार्यश्री महाप्रज्ञ के 105वें जन्म दिवस पर विविध आयोजन

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आचार्यश्री महाप्रज्ञ के 105वें जन्म दिवस पर विविध आयोजन

मुनि जिनेशकुमार जी ठाणा-3 के सान्निध्य में आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी के 105वें जन्मदिवस के सन्दर्भ में ‘आचार्य महाप्रज्ञ विचार दर्शन सेमिनार’ का भव्य आयोजन साउथ कोलकाता श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा के द्वारा तेरापंथ भवन में आयोजित किया गया। इस अवसर पर मुनि जिनेशकुमारजी ने कहा- व्यक्ति जन्म से नहीं, अपने गुणों से बड़ा होता है। आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी अपने आचार, विचार, संस्कार, व्यवहार, अध्ययन व चिन्तन से बड़े हुए। उनका जीवन निर्मल, निश्छल निरभिमानी और मां के दूध की तरह पवित्र था। आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी व्यक्ति नहीं विचार थे। उनके विचारों में अहिंसा व करुणा झलकती है। उन्होंने व्यक्ति, परिवार व समाज की स्वस्थता पर बल दिया क्योंकि ये स्वस्थ होंगे तभी देश और दुनिया स्वस्थ होगी।
मुनिश्री ने आगे कहा- आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी का चिन्तन उर्वर था। समस्याओं का समाधान देने वाला था। आचार्य श्री महाप्रज्ञ जी फरमाते थे आज देश के सामने तीन प्रमुख समस्याएं हैं - गरीबी, जातिवाद और साम्प्रदायिक कट्टरता। मुनि कुणालकुमार जी ने सुमधुर गीत का संगान किया। कार्यक्रम का शुभारंभ तेरापंथ महिला मंडल द्वारा महाप्रज्ञ अष्टकम् के संगान से हुआ। स्वागत भाषण साउथ कोलकाता सभा के अध्यक्ष विनोद चोरड़ि‌या ने दिया। प्रधान न्यासी तुलसी दुगड़ ने अपने विचार व्यक्त किये। तेरापंथ महिला मंडल ने सुमधुर गीत का संगान किया। आभार ज्ञापन सभा के मंत्री कमलकुमार कोचर ने किया। कार्यक्रम का संचालन मुनि परमानंद जी ने किया। इस अवसर पर जै. वि. भा. के पूर्व अध्यक्ष सुरेन्द्र चोरडि़या व इन्कम टैक्स अपीलेन्ट ट्रिब्यूनल जज मनीष बोरड विशेष रूप से उपस्थित थे।