आचार्यश्री महाप्रज्ञ के 105वें जन्म दिवस पर विविध आयोजन
तेरापंथ के दशम आचार्य महाप्रज्ञ के 105वें जन्मदिवस के अवसर पर चिकमंगलूरू के 1200 वर्ष पुराने वेणुगोपाल मंदिर के प्रांगण में आचार्य महाप्रज्ञ के जन्मोत्सव समारोह में मुनि मोहजीतकुमारजी ने विनयांजलि प्रकट करते हुए कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ यथा नाम तथा प्रज्ञा के धनी थे। उनका चिन्तन वैश्विक मानस को प्रभावित करने वाला था। उनके द्वारा किए गये कार्यों का आकलन करना दुनिया के दुर्लभ कामों में एक काम होगा। आचार्य महाप्रज्ञ का निश्चय और व्यवहार जगत इक्कीसवीं सदी में जीने वालों के लिए प्रेरणा का आधार है। मुनि जयेशकुमारजी ने आचार्य महाप्रज्ञ के व्यक्तित्व और कर्तृत्व का सांगोपांग विवेचन करते हुए कहा कि आचार्य महाप्रज्ञ का समर्पण युगों-युगों तक आदर्श के रूप में मुखर रहेगा। उनकी महान प्रज्ञा विश्व मानस को आलोक दिखाने वाली थी। उन्होंने इक्कीसवीं सदी में होने वाले मानव की परिकल्पना 20वीं सदी में ही प्रकट कर दी थी। मुनि भव्यकुमार जी ने 'महाप्रज्ञ की महिमा' गीत का संगान कर श्रद्वार्पण किया। तेरापंथ सभा अध्यक्ष ताराचन्द सेठिया ने विचार प्रकट किए। महिला मंडल की सदस्याओं ने गीत एवं भरत बरलोटा ने आभार प्रकट किया।