महावीर का उद्घोष  है-तिण्णाणं तारयाणं

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महावीर का उद्घोष है-तिण्णाणं तारयाणं

साध्वी डॉ. मंगलप्रज्ञाजी ने अपनी सहवर्तिनी साध्वीवृंद के साथ क्षेत्रीय संभाल के दौरान ‘अध्यात्म जागरण यात्रा’ की। यह यात्रा काफी संघ प्रभावक बनी। इस क्रम में साध्वीश्री का लगभग 15 दिवसीय प्रवास मलाड में हुआ। कृतज्ञता के रूप में मलाड श्रावक परिवार द्वारा आयोजित मंगल भावना समारोह में साध्वी डॉ. मंगलप्रज्ञा जी ने कहा- संतों का शुभागमन जन जागरण के लिए होता है।
हमने भगवान महावीर के तिण्णाणं-तारयाणं के संदेश का पालन किया, गुरु-निर्देश का पालन किया है, इसकी मुझे प्रसन्नता है। पूज्य गुरुदेव ने जो क्षेत्र-स्पर्श करने का निर्देश हमें प्रदान किया सभी जगह हमारा जाना हुआ, यह आनन्द का विषय है। गुरुदृष्टि और ऊर्जा से हमारी यह यात्रा सम्पन्नता की ओर है। साध्वीश्री ने आगे कहा हमारे पूर्वज साधु-साध्वियों ने सघन परिश्रम से श्रावक-परिवार में संघीय भावना पुष्ट की है। श्रावक समाज से साध्वीश्री ने कहा- आप जैन अपने पूर्वजों, अभिभावकों की बदौलत हो। आश्वयकता है आज परिवारों में जैनत्व की सुरक्षा के लिए सभी अपनी भावी पीढ़ी को संस्कारी बनाएं। परिवारों में जो चिंतनीय स्थितियां बन रही हैं उसे थामने का प्रयास करें।
सम्पूर्ण मलाडवासी अध्यात्म के श्रेत्र में आगे बढ़ते रहें। चातुर्मास काल में ज्ञान, दर्शन चरित्र और तप की आराधना में संलग्न बनें। समय और शक्ति का सम्यक नियोजन करें। जिस उत्साह के साथ संस्थाओं के अपने दायित्वों का सजगता के साथ पालन किया है, इसी तरह आगे भी करते रहें।