सच्चा सुख पाना है तो त्यागमय जीवन जीना होगा
तेरापंथी सभा गंगाशहर द्वारा मुमुक्षु मीनाक्षी सामसुखा का मंगलभावना समारोह साध्वी चरितार्थप्रभा जी एवं साध्वी प्रांजलप्रभा जी के सान्निध्य में शांतिनिकेतन गंगाशहर में आयोजित किया गया। इस अवसर साध्वी चरितार्थप्रभा जी ने कहा कि हमारे पास दो तरह के जीवन जीने के विकल्प होते हैं। सच्चा आनंद एवं सच्चा सुख पाना है तो हमें भोग को छोड़कर त्यागमय जीवन जीना होगा।
भगवान महावीर और सेठ शालिभद्र का उदाहरण देते हुए साध्वीश्री ने कहा कि अपार सुख को त्याग कर वे संयम पथ पर आगे बढ़े। धर्म संयम में है, स्वच्छंदता में नहीं। मीनाक्षी ने संयम का मार्ग अपनाया है, जो आत्मा के कल्याण का सबसे बड़ा साधन है। मुमुक्षु मीनाक्षी को प्रेरणा प्रदान करते हुए साध्वीश्री जी ने कहा कि साधु जीवन में ज्ञान, दर्शन, चरित्र और तप की साधना के पथ पर आगे बढ़कर अपने जीवन को पवित्र बनाना है। साध्वीश्री प्रांजलप्रभा जी ने कहा कि मुमुक्षु मीनाक्षी ने जीवन की सच्चाई को समझकर भोग-विलास, सुख-दु:ख को त्याग कर पंच महाव्रत के राजमार्ग पर प्रस्थान किया है, जो अनुकरणीय है। तुम जिस निष्ठा, आस्था, श्रद्धा से घर से विदाई ले रही हो, वह भावना आप हमेशा बनाए रखें। साधु जीवन साधना का जीवन है, साधना हृदय की पूर्ण स्वतंत्रता से ही हो सकती है। साध्वी स्वास्थ्यप्रभा जी ने कहा कि हम तुम्हें विदाई नहीं बल्कि बधाई देते हैं।
साध्वी प्रभाश्री जी ने आत्म साधना में तल्लीन रहने की प्रेरणा दी। मुमुक्षु मीनाक्षी सामसुखा ने कहा कि बाहरी भोग विलास सब क्षणिक हैं, भीतरी शांति हमें अध्यात्म पथ पर आगे बढ़ने से ही मिलती है। उन्होंने अपने वैराग्य को पुष्ट करने वाले सभी सहयोगियों को याद किया तथा कृतज्ञता व्यक्त की। महिला मंडल की अध्यक्ष संजू लालाणी एवं पूरी टीम ने गीतिका के माध्यम से मंगल भावना व्यक्त की। सामसुखा परिवार की बहनों ने गीतिका, कविताएं व मुक्तक के माध्यम से दीक्षार्थी बहन मुमुक्षु मीनाक्षी का अभिनंदन किया। तेरापंथी सभा के पुर्व अध्यक्ष अमर चन्द सोनी ने अभिनन्दन पत्र का वाचन किया। समाज की समस्त संस्थाओं ने स्वागत करते हुए मंगलमय संयम जीवन की कामना की। कार्यक्रम का संचालन सभा के मंत्री जतनलाल संचेती ने किया।