
श्रावक कार्यकर्ता की पहचान है त्याग, शील और गुण
मुनि जिनेशकुमारजी ठाणा -3 के सान्निध्य में श्रावक कार्यकर्ता प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन साउथ हावड़ा श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा द्वारा किया गया। इस अवसर पर मुनि जिनेशकुमार जी ने कहा- किसी भी संगठन के विकास में कार्यकर्ताओं की महत्त्वपूर्ण भूमिका रहती है। कार्यकर्ता का सामान्य अर्थ है- कार्य करने वाला। जो स्वहित के साथ परार्थ व परमार्थ का भाव रखता है वह सच्चा कार्यकर्ता होता है। कार्यकर्ता में भी श्रावक कार्यकर्त्ता का होना जरूरी है। जो श्रद्धावान है, विवेकवान है, क्रियाशील व कर्तव्य के प्रति जागरूक होता है, वह श्रावक होता है। मुनिश्री ने आगे कहा- जिस प्रकार सोने की पहचान घिसकर, काटकर, पीटकर तथा तपाकर की जाती है उसी प्रकार श्रावक कार्यकर्ता की पहचान त्याग, शील, गुण, कर्म से होती है। त्याग से ही श्रावकत्व, जैनत्व झलकता है। इस अवसर पर मुनि परमानंदजी ने कहा- कार्यकर्ताओं के प्रशिक्षण से कौशल विकसित होता है। मुनि कुणालकुमारजी ने सुमधुर गीत का संगान किया। तेरापंथ युवक परिषद के सदस्यों ने सामूहिक गीत का संगान किया। तेरापंथी सभा अध्यक्ष लक्ष्मीपत बाफणा ने स्वागत भाषण दिया। आभार ज्ञापन सभा के उपाध्यक्ष बजरंग डागा ने किया। कार्यक्रम का संचालन मुनि परमानंद जी ने किया।