चातुर्मास में रहे आत्मा का दर्शन करने का प्रयत्न
परम पावन आचार्यश्री महाश्रमणजी के निर्देशानुसार 'शासनश्री' साध्वी ललितप्रज्ञा जी ठाणा-3 का तेरापंथ भवन, शास्त्री नगर में चातुर्मासिक मंगल प्रवेश हुआ। साध्वीश्री ने प्रेरणा देते हुए कहा कि चातुर्मास में व्यक्ति को अपनी लाइफ स्टाइल बदलनी चाहिए। चातुर्मास में आत्मा का दर्शन करने का प्रयत्न रहे। चतुर्मास में त्याग, तप, संयम, उपशम भाव की साधना, अनासक्ति, स्वाध्याय, सामायिक, दर्शन, सेवा, व्याख्यान श्रवण में समय का सदुपयोग करें। रात्रि भोजन का भी परिहार करें जितना समय धर्म ध्यान में लगा सकें लगाएं। प्रतिकमण कर पापों की आलोचना कर वीतराग पथ पर अग्रसर होते रहें।
साध्वी अमितश्रीजी ने कहा अतीत को भुलाकर वर्तमान में जीकर, भविष्य के निर्माण का नाम है चातुर्मास। साध्वी कर्तव्यजी ने सत्संग की गरिमा बताकर समय के सदुपयोग की प्रेरणा दी। कार्यक्रम का शुभारंभ साध्वीश्री ने नमस्कार महामंत्र उच्चारण एवं भगवान ऋषभ के जप द्वारा किया। ज्ञानशाला की प्रशिक्षिकाओं ने मंगलाचरण किया। बाबुलाल दुगड़, उपाध्यक्ष दिल्ली सभा, राजेन्द्र बैंगानी मंत्री, अणुव्रत समिति, राजा कोठारी, क्षेत्रीय सभा अध्यक्ष, कन्या मण्डल, महिला मण्डल आदि द्वारा स्वागत अभिनन्दन किया गया। आभार ज्ञापन पवन बैंगानी द्वारा एवं कुशल संचालन पवन चौपड़ा द्वारा किया गया।