दादा-दादी चित्त समाधि शिविर
चेन्नई
साध्वी अणिमाश्री जी के सान्निध्य में तेरापंथ सभा के तत्त्वावधान में दादा-दादी चित्त समाधि शिविर का आयोजन किया गया। जिसमें तीन पीढ़ियों ने भाग लेकर नई ऊर्जा प्राप्त की एवं कार्यक्रम का भरपूर आनंद लिया। साध्वी अणिमाश्री जी ने कहा कि जीवन की तीन अवस्थाएँ हैंबचपन, जवानी व बुढ़ापा। बुढ़ापे को पतझड़ की तरह कहा है प्रकृति के प्रांगण में तो पतझड़ के बाद पुन: बसंत, मधुमास आ जाता है, किंतु बुढ़ापा कभी जवानी व बचपन में तब्दील नहीं हो सकता है। लेकिन हम अपनी वृद्धावस्था को आनंदमय बना सकते हैं। बुढ़ापा न इस जीवन का इतिवृत्त है, न समापन और न ही अभिशाप।
डॉ0 साध्वी सुधाप्रभा जी ने कहा कि बुजुर्ग घर की शान होते हैं। घर के मंदार हैं। अनुभवों के भंडार हैं। बुजुर्गों के अनुभव जीवन की कई समस्याओं को चुटकियों में समाहित कर सकते हैं। इसलिए घर के सदस्य बुजुर्गों के अनुभवों का लाभ उठाएँ।
कवि मनोहर कोठारी ‘महक’ ने मायड़ भाषा में गाँव की गुवाड़ी कविता का रोचक कविता पाठ करके पूरी परिषद को रोमांचित कर दिया। अनिता, बबीता चोपड़ा ने कहा कि हमें गैंदा नहीं गेंदे के फूल की तरह बनना है। खुद के जीवन को भी सौरभमय बनाना है एवं परिवार को भी अपने अनुभवों की सुवास से सुवासित करना है। तेरापंथ सभा के निवर्तमान अध्यक्ष विमल चिप्पड़ ने सभी का स्वागत किया। कार्यक्रम संयोजक संपत चोरड़िया ने अपने विचारों की अभिव्यक्ति दी। वरिष्ठ श्रावक मदनलाल मरलेचा, जयंतीलाल सुराणा, ताराचंद आंचलिया ने मंगल संगान व बुढ़ापे का गीत प्रस्तुत कर सबका मन मोह लिया। जयपुर से समागत अशोक बरड़िया ने अपने भावों की प्रस्तुति दी। सभा की ओर से मनोहर कोठारी व संपतराज चोरड़िया का सम्मान किया गया। आभार ज्ञापन सभा सहमंत्री दिलीप मुणोत ने किया।
भिक्षु धम्म जागरण
तेरापंथी सभा द्वारा भादुड़ी तेरस के अवसर पर विराट धम्म जागरण का आयोजन किया गया। जय तुलसी
संगीत मंडल की प्रस्तुति में संयोजक हेमंत डूंगरवाल और उनकी पूरी टीम ने सुंदर गीतों का संगान किया। संचालन
राहुल चोपड़ा ने किया। तेरापंथ सभा से विमल चिप्पड़, दिलीप मुणोत, राजेंद्र भंडारी और अन्य गणमान्य लोगों की भरपूर उपस्थिति रही।