आचार्य श्री भिक्षु के 299वें जन्म दिवस एवं 267वें बोधि दिवस पर विविध आयोजन

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आचार्य श्री भिक्षु के 299वें जन्म दिवस एवं 267वें बोधि दिवस पर विविध आयोजन

आचार्यश्री महाश्रमणजी की सुशिष्या डॉ. साध्वी परमयशा जी के सान्निध्य में आचार्य श्री भिक्षु का 299वां जन्म दिवस एवं 267वां बोधि दिवस का कार्यक्रम समायोजित हुआ। साध्वीश्री ने अपने वक्तव्य में कहा कि एक असाधारण बहुआयामी व्यक्तित्व का नाम था आचार्य भिक्षु। आर्य भिक्षु एक सिंह पुरूष थे। वे सिंह के सपने के साथ मां दीपा और पिता बल्लूशाह के प्रांगण में आए। सिंह की तरह पराक्रम करते हुए उन्होंने संन्यास ग्रहण किया। वे आजीवन शेर की तरह दहाड़ते रहे। उनकी चेतना का उद्देश्य था शिथिलाचार को पीछे धकेल नयी ज्योति का स्वागत करना।
साध्वीश्री ने आगे कहा- आचार्यश्री भिक्षु इम्प्रेसिव, क्रिएटिव, पॉजिटिव और अट्रैक्टिव पर्सनालिटी थे। महामना का जन्म दिवस बोधि दिवस के रूप में आयोजित हो रहा है। राजनगर में भिक्षु स्वामी को अन्तदृष्टि मिली। हमें भी अन्तदृष्टि मिले। साध्वी वृंद ने 'कैसे मनाएं भिक्षु बाबा का जन्मदिन' गीतिका का संगान किया। कार्यक्रम का मंगलाचरण तेरापंथ महिला मंडल की बहनों ने किया। पंकज भंडारी, तेरापंथ महिला मंडल की उपाध्यक्ष मंजू इंटोदिया, किशोर मंडल सहसंयोजक नमन सोनी आदि ने अपने भावों की अभिव्यक्ति गीत एवं वक्तव्य के माध्यम से दी।
मुख्य अतिथि चेतना भाटी ने भी अपने विचारों की अभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम का संचालन तेरापंथ सभा अध्यक्ष कमल नाहटा ने तथा आभार ज्ञापन तेरापंथ युवक परिषद के अध्यक्ष भूपेश खमेसरा ने किया।