त्रिदिवसीय कार्यक्रम में हुई धर्माराधना

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त्रिदिवसीय कार्यक्रम में हुई धर्माराधना

उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमलकुमारजी के पावन सान्निध्य में त्रिदिवसीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया। मुनिश्री ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि आज तेरापंथ धर्मसंघ के आद्यप्रवर्तक आचार्य भिक्षु का 299वां जन्मदिवस व 267वां बोधि दिवस है। धर्मसंघ के बच्चे-बच्चे के मन में अपार खुशी है, आज की उपस्थिति देखकर लगता है कि पर्यूषण पर्व पर लोगों को उपासना करने का यह स्थान उपयुक्त नहीं रहेगा। आज संसार में अनेक संत और पंथ हैं परंतु तेरापंथ का अपना महत्व है इसका मुख्य कारण अनुशासन है। इस धर्म संघ में इतने बौद्धिक और युवा साधु-साध्वियों की बहुलता होने पर भी एकरूपता है, यह सब भिक्षु बाबा की सूझबूझ का प्रताप है। आज के दिन काफी भाई-बहन उपवास करते हैं यह उनकी स्वामीजी के प्रति हार्दिक श्रद्धा का प्रतीक है। मुनिश्री ने उपवास करने वालों प्रेरणा देते हुए कहा कि अगर शारीरिक शक्ति और परिवार की अनुकूलता हो तो तेले का लक्ष्य बनाएं व आज से ओम भिक्षु की 2 महीने तक अर्थात भादवा सुदी तेरस तक 21 माला नियमित पूर्व या उत्तर दिशा में स्थित होकर सामायिक सहित जाप करें, जिससे सवा लाख का जाप हो सके। कार्यक्रम में मुनि नमिकुमार जी ने 31 की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। मुनि अमनकुमार जी, मुनि मुकेशकुमार जी, भगवतीलाल सोनी, संजय खाब्या, दिनेश श्रीश्रीमाल, सुरेश बैद, राजू हीरावत, सीमा इंटोदिया, भावना चौधरी आदि ने भावपूर्ण प्रस्तुतियां की।
द्वितीय दिवस - आषाढ़ सुदी चतुर्दशी के अवसर पर मुनि कमलकुमार जी ने कहा कि बारह महीने में आषाढ़ सुद चौदस का अपना विशेष महत्व है, यह केवल साधु-साध्वियों के लिए ही नहीं अपितु श्रावक-श्राविकाओं के लिए भी महत्वपूर्ण है। आज के दिन पक्खी होने से इसका ज्यादा महत्व हो गया है, अर्थात आज प्रतिक्रमण के पश्चात चातुर्मास की शुरुआत हो जाती है। साधु-साध्वी या श्रावक-श्राविका विशेष साधना का क्रम बनाते हैं। मुनिश्री ने हाजरी का वाचन किया। तृतीय दिवस- मुनि कमलकुमार जी ने अपने उद्गार प्रकट करते हुए कहा कि आज चातुर्मास का प्रथम दिवस है, आषाढ़ी पूर्णिमा है। आज के दिन केलवा, मेवाड़ में आचार्य भिक्षु ने भाव दीक्षा स्वीकार की और तेरापंथ की स्थापना हो गई। आचार्य भिक्षु समयज्ञ थे उन्होंने शुभ समय में इस संघ की स्थापना की। आज तेरापंथ धर्म संघ देश-विदेश में फैल चुका है। आज मंत्र दीक्षा का भी कार्यक्रम है, तेरापंथ युवक परिषद के तत्वावधान में इसका आयोजन किया गया है।
यह कार्यक्रम आचार्य श्री तुलसी के शासनकाल में प्रारंभ हुआ, तब से आषाढ़ी पूर्णिमा के दिन बच्चों को मंत्र दीक्षा दी जाती है जिससे हमारी संस्कृति और संस्कारों की सुरक्षा होती रहे। अच्छी संख्या में भाई-बहनों ने मंत्र दीक्षा के साथ गुरु धारणा भी ग्रहण की। अनेकों ने तेले की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। मुनिश्री की प्रेरणा से चल रही पचरंगी के अंतर्गत भी कई सदस्यों ने चोले व पंचोले का भी प्रत्याख्यान किया। युवक परिषद के मंत्री संजय खाब्या ने सबका आभार व्यक्त किया। मुनि नमि कुमार जी ने 34 की तपस्या का प्रत्याख्यान किया।