संतों से मिलता है प्रेम, मैत्री, करुणा व अहिंसा का पथदर्शन
जसोल। अहिंसा रैली के साथ मुनि यशवंतकुमारजी व मुनि मोक्षकुमारजी का चार्तुमासिक नगर प्रवेश हुआ। मुनिश्री के नगर प्रवेश पर तेरापंथ सभा, युवक परिषद, महिला मंडल, कन्या मंडल, किशोर मंडल व अणुव्रत समिति की ओर से स्वागत किया गया। कार्यक्रम में संबोधित करते हुए मुनि यशवंतकुमारजी ने कहा कि संत-ऋषियों की यह भारत भूमि, जहां अनेक तपस्वी संतों ने इस धरा का गौरव बढ़ाया। नगर में संतों के आगमन से मन रूपी बसंत खिलता हैं। संत धरती के कल्पवृक्ष हैं, चिंतामणि रत्न के समान है। मुनिश्री ने कहा कि विश्व कल्याण की सोच के साथ प्रेम, मैत्री, करुणा व अहिंसा का पथदर्शन संतों के सौभाग्य से ही मिलता है। मुनि मोक्षकुमार ने मंगल प्रवेश शब्द की व्याख्या करते हुए ज्ञान, दर्शन, चारित्र और तप की विशेष आराधना के लिए आह्वान किया। इससे पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ तेरापंथ महिला मंडल के द्वारा मंगलाचरण से हुआ। तेरापंथ महिला मंडल, तेरापंथ कन्या मंडल एवं ज्ञानशाला द्वारा अलग-अलग सामूहिक गीतिका का संगान किया गया। आभार ज्ञापन सभा मंत्री धनपत संखलेचा ने एवं संचालन महिला मंडल उपाध्यक्ष सरोज भंसाली ने किया।