आत्म शुद्धि के लिए प्रतिक्रमण कार्यशाला का आयोजन

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आत्म शुद्धि के लिए प्रतिक्रमण कार्यशाला का आयोजन

डोंबिबली। उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमलकुमारजी के सान्निध्य में प्रतिक्रमण कार्यशाला का आयोजन किया गया। मुनिश्री ने अपने उद्गार प्रकट करते हुए कहा कि आत्मार्थी के लिए प्रतिक्रमण अत्यन्त आवश्यक है। साधु-साध्वी के लिए तो विहार हो या बुखार हो, चाहे शरीर की अस्वस्थता भी हो, कार्य की कितनी भी व्यस्तता हो, आहार-प्रवचन-अध्ययन-अध्यापन गौण किया जा सकता है परन्तु सुबह-शाम प्रतिक्रमण आवश्यक है। अगर स्वयं न कर सके तो सहयोगी प्रतिक्रमण करवाने में तत्परता रखते हैं। आत्म शुद्धि के लिए प्रतिक्रमण की नितान्त आवश्यकता समझनी चाहिये। मुख्य वक्ता उपासक श्रेणी के राष्ट्रीय संयोजक सूर्यप्रकाश श्यामसुखा ने प्रतिक्रमण क्यों? कब? कैसे? की व्याख्या की। प्रतिक्रमण का उच्चारण, अर्थ और विधि को भी विस्तार सहित समझाया। प्रतिक्रमण कार्यशाला में कन्या मंडल, किशोर मंडल, युवक परिषद, महिला मंडल सभा के पदाधिकारियों के साथ अनेक लोगों ने कार्यशाला का लाभ उठाया।