आयंबिल मासखमण तप अभिनंदन समारोह का आयोजन
मुनि जिनेश कुमार जी ठाणा- 3 के सान्निध्य में खुशबु दुगड़ के 31 दिन के आयंबिल तप के उपलक्ष्य में तप अभिनंदन कार्यक्रम का आयोजन प्रेक्षा विहार में साउथ हावड़ा श्री जैन श्वेताम्बर तेरापंथी सभा द्वारा किया गया। इस अवसर पर उपस्थित धर्मसभा को संबोधित करते हुए मुनिश्री ने कहा - जिस प्रकार शरीर पर तेल की मालिश करने से शरीर के अंग स्वस्थ रहते हैं, उसी प्रकार तप से मन की मालिश होने से मन स्वस्थ रहता है। तप से तेज बढ़ता है, आभामंडल विशुद्ध होता है। तपस्या के अनेक प्रकार हैं- उपवास भी तपस्या है, आयंबिल भी तपस्या है, ऊनोदरी भी तपस्या है। आयंबिल स्वाद विजय की साधना है। आयंबिल एक प्रकार की चिकित्सा है।
साध्वी मीरांजी ने 13 महीने की आयंबिल तप की साधना कर तेरापंथ धर्म संघ में एक कीर्तिमान स्थापित किया था। आयंबिल का अर्थ है- एक धान पानी उपरांत त्याग करते हुए एक बार से अधिक भोजन नहीं करना, वह भी नमक रहित। बहिन खुशबु दुगड़ ने आयंबिल का मासखमण करके साहस का परिचय दिया है। तप अभिनंदन पत्र का वाचन मुख्य न्यासी संजय नाहटा ने किया। आभार सभा मंत्री बसंत पटावरी व संचालन मुनि परमानंदजी ने किया।