मन पर अनुशासन के बिना असंभव होता है तप

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मन पर अनुशासन के बिना असंभव होता है तप

तेरापंथ भवन कांदीवली में सतरंगी तप अनुष्ठान में संभागी तपस्वियों को संबोधित करते हुए साध्वी डॉ. मंगलप्रज्ञाजी ने कहा कि तपस्या आत्म शुद्धि और निर्जरा में प्रवर सहायक होती है। अगर मनोबल ऊंचा है तो तप में विशेष बाधा नहीं आती। सतरंगी तपस्या की साधना में श्रावक समाज ने उत्साह से भाग लिया। आज सानन्द तप सफलता पर हम तपस्वियों के तप की अनुमोदना करते हैं। मन पर अनुशासन के बिना तप असंभव होता है। भाई-बहनों ने सतरंगी तप की आराधना कर प्रबल मनोबल का परिचय दिया है। हम यह कामना करते हैं कि आगे भी तप के पथ पर निरन्तर गति शील रहें। साध्वीश्री ने अपने प्रवचन के मध्य तपस्वी कुंदनमल जी स्वामी के ऐतिहासिक जीवनवृत पर प्रकाश डाला।
कांदीवली महिला मंडल द्वारा सुमधुर संगान से तपस्वियों का वर्धापन किया गया। तेयुप मलाड के अध्यक्ष जयन्ती मादरेचा, मंत्री पंकज कच्छारा ने मंगल भाव प्रस्तुत किए। साध्वी सुदर्शनप्रभाजी, साध्वी राजुलप्रभाजी, साध्वी चैतन्यप्रभाजी ने समूह स्वर द्वारा तप अनुमोदना की। बैंगलोर से समागत जितेन्द्र कोठारी ने अपने विचार व्यक्त किए। इस अवसर पर अठाई तप करने वाले साधकों का साहित्य द्वारा सम्मान किया गया। कार्यक्रम का संयोजन साध्वी राजुलप्रभाजी ने किया।