
मर्यादा और अनुशासन तेरापंथ धर्म संघ की है पहचान
साध्वी कुन्दनरेखाजी के सान्निध्य में एवं तेरापंथ सभा दिल्ली के तत्वावधान में आचार्य भिक्षु जन्मदिवस एवं बोधि दिवस को त्याग, तप एवं जप के साथ हर्षोल्लास से मनाया गया। इस अवसर पर साध्वी कुन्दनरेखाजी ने कहा- आचार्य भिक्षु एक विलक्षण महापुरुष थे, जो अपनी प्रयुत्पन्न मेधा से बचपन से ताउम्र अध्यात्म की तरफदारी करते रहे। कालजयी व्यक्तित्व के धनी आचार्य भिक्षु का जीवन कष्टों की कहानी बनकर उभरा फिर भी वे न तो कभी घबराये, ना भयभीत हुए बल्कि निर्भय बनकर अविरल गति से बढ़ते रहे। छोटी सी पगडंडी पर चले और उसे राजपथ बना दिया।
साध्वी सौभाग्ययशाजी ने कहा- आचार्य भिक्षु का जीवनवृत प्ररेणा की मिशाल है। उन्होंने पांच वर्षों तक कठिनाइयों का पहाड़ पार कर अध्यात्म के पथ को प्रशस्त किया। तेरह नियमों से सुसज्जित यह शासन हर साधक के लिए त्राण, गति और प्रतिष्ठा है। साध्वी कल्याणयशा जी ने कहा - आचार्य भिक्षु ने मर्यादा और अनुशासन से तेरापंथ धर्म संघ की नींव रखी थी। आज यह वट वृक्ष बन मानवता एवं नैतिक मूल्यों को प्रतिष्ठित करने हेतु अग्रिम भूमिका निभा रहा है। चातुर्मासिक चतुर्दशी के अवसर पर साध्वी कुन्दनरेखाजी ने तेरापंथ धर्म संघ की मर्यादा और अनुशासन पर विशेष प्रकाश डालते हुए कहा अनुशासन धर्म संघ के लिए साधना के अलग-अलग मार्ग प्रशस्त करता हुआ साधक को बाह्य विषमताओं से बचाता है। मर्यादा का महादीप प्रकाश स्तम्भ की तरह हर साधक के मार्ग को प्रकाशवान बनाता है। इस अवसर पर साध्वीश्री द्वारा हाजरी का वाचन किया गया। श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन अजातशत्रु मांगीलाल सेठिया ने किया।
साध्वी सौभाग्ययशाजी ने कहा-चातुर्मास का समय अन्तः चेतना के निखार का समय है। सामायिक, संवर, तप, जप आदि अनुष्ठानों से निरन्तर आत्मा से जुड़े रहें ताकि सम्यग् दर्शन पुष्ट हो सके। साध्वी कल्याणयशाजी ने सुमधुर गीत का संगान किया। आषाढ़ी पूनम के अवसर पर साध्वी कुन्दनरेखाजी ने कहा- सायं सात बजकर पच्चीस मिनिट का अनमोल अद्भुत समय, अर्हतों की साक्षी से आचार्य भिक्षु ने अपने शिष्यों सहित पुराने जीवन का व्युत्सर्ग कर नये जीवन में प्रवेश किया और तेरापंथ स्थापना का यह पुनीत अवसर हमें मिला। तब से अब तक उत्तरवर्ती परम्परा के सभी आचार्यो ने इसका संरक्षण किया। साध्वीश्री जी ने कहा तेरापंथ की कुंडली के योग इतने सुन्दर और विशिष्ट हैं कि यह धर्मसंघ पंचम आरे के अंतिम समय तक अपना आध्यात्मिक परचम फहराता रहेगा। साध्वी सौभग्ययशा जी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। तेरापंथ स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में मांगीलाल सेठिया, अभातेममं की कार्यकारिणी सदस्या प्रीति भंसाली, सुरेश जैन ने अपनी भावान्जलि आचार्य भिक्षु के श्रीचरणों में वक्तव्य एवं गीत के द्वारा समर्पित की।