265वें तेरापंथ स्थापना दिवस पर विविध आयोजन
आषाढ़ी पूर्णिमा का दिन तेरापंथ धर्म संघ के लिए एक ऐतिहासिक दिन है। आचार्य भिक्षु सत्य के परम उपासक थे। भगवान महावीर के सिद्धांतों पर साध्वाचार का शुद्ध पालन करने के लिए वे स्थानकवासी संप्रदाय से पृथक हुए और भाव दीक्षा ग्रहण की। एक आचार, एक विचार और एक प्ररूपणा की अनोखी विशेषता लिए हुए यह तेरापंथ जन-जन का पंथ बन गया। तेरह साधु और तेरह श्रावकों की संख्या से स्थापित हुआ यह संघ आज लाखों लोगों की आस्था का आस्थान बन गया। वर्तमान में आचार्यश्री महाश्रमण जी की अनुशासना में तेरापंथ प्रगति के नए-नए आयाम उद्घाटित कर रहा है। ये विचार 'शासनश्री' साध्वी मानकुमारी जी ने 265वें तेरापंथ स्थापना दिवस पर उपस्थित श्रावक समाज को संबोधित करते हुए व्यक्त किए। तेरापंथ स्थापना दिवस पर प्रातः अनुशासन रैली निकाली गई जो जय घोषों के साथ मुख्य मार्गों से होते हुए तेरापंथ भवन पहुंची। रैली में ज्ञानशाला, कन्या मंडल, किशोर मंडल, महिला मंडल एवं सभा के सभी सदस्य गण अच्छी संख्या में शामिल हुए। इस अवसर पर साध्वी कुशलप्रज्ञा जी, साध्वी कीर्तिरेखा जी व साध्वी स्नेहप्रभा जी ने तेरापंथ व आचार्य भिक्षु के सिद्धांतों पर सारगर्भित विचार व्यक्त किए। साध्वी चैत्यप्रभा जी व महिला मंडल ने पृथक-पृथक सुमधुर गीत का संगान किया। आरती बैद व मीनाक्षी बुच्चा ने 'तेरापंथ के उद्भव का इतिहास' की रोचक प्रस्तुति दी। आभार ज्ञापन महिला मंडल की मंत्री रीना बैद ने किया। कार्यक्रम का शुभारंभ कन्या मंडल ने भिक्षु अष्टकम् से किया। कार्यक्रम का कुशल संयोजन साध्वी इन्दुयशाजी ने किया।