265वें तेरापंथ स्थापना दिवस पर विविध आयोजन
साध्वी मंगलयशा जी के सान्निध्य में 265वां तेरापंथ स्थापना दिवस मनाया गया। साध्वीश्री ने कहा आषाढ़ी पूर्णिमा आत्म बोध प्रेरणा का शुभ त्योहार हैं। गुरु शिष्य के आत्मीय संबंधों की संचेतन व्याख्या है। तेरापंथ धर्मसंघ आचार्य भिक्षु द्वारा स्थापित अध्यात्म प्रधान धर्मसंघ है। तेरापंथ जैन धर्म का एक अत्यंत तेजस्वी और सक्षम संप्रदाय है। आचार्य भिक्षु अपने युग के विलक्षण पुरुष थे, अपनी इच्छा शक्ति के आधार पर उन्होंने धर्म क्रांति का आह्वान किया और सुविधा व प्रतिष्ठा का पथ छोड़कर कठिनाई भरे रास्ते पर चलना स्वीकार किया। साध्वी भास्करप्रभाजी ने कहा आषाढी पूर्णिमा का दिन गुरु पूर्णिमा के रूप में मनाते हैं। तेरापंथ का उद्भव विक्रम संवत् 1817 में हुआ। आचार्य भिक्षु के बाद 9 आचार्यों ने भी उन मौलिक मर्यादाओं व सिदांतो को आगे बढ़ाते हुए तेरापंथ का विस्तार किया।