गुरु जीवन के निर्माता होते हैं
मण्डिया (कर्नाटक)। साध्वी संयमलताजी ने कहा - गुरु रोशनी के वृक्ष हैं, जिसके पत्ते-पत्ते पर नूर टपकता है। गुरु की पूजा सत्य व अनुभव की पूजा है। गुरु ज्ञान का सूर्य है, प्रेम का महासागर है, शांति का हिमालय, समता का दर्शन है। पिता केवल जन्म देता है, गुरु जीवन का सही निर्माण करने वाले होते हैं, अनगढ पत्थर को प्रतिमा का रूप देने वाले होते हैं। ऐसे आचार्य महाश्रमण को गुरु के रूप में पाकर सौभाग्य की सराहना करते हैं। उनके आदर्शों को जीवन में अपनाकर लक्षित मंजिल को प्राप्त करें। साध्वी रौनकप्रभाजी ने एक कहानी के माध्यम से बच्चों को प्रेरित किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन साध्वी मार्दवश्रीजी ने किया। गुरु पूर्णिमा के उपलक्ष्य में तेरापंथ युवक परिषद् मण्डिया द्वारा सुन्दर गीतिका का संगान किया गया। आभार ज्ञापन प्रदीप भंसाली ने किया।