पचरंगी तप अनुष्ठान
कांटाबांजी। समणी निर्देशिका जिनप्रज्ञा जी एवं समणी क्षांतिप्रज्ञा जी के सान्निध्य में दो पचरंगी तपस्या सानंद संपन्न हुई। समणी द्वय की प्रेरणा से एक पचरंगी कांटाबांजी वासियों तथा एक पचरंगी पश्चिम ओडिशा के श्रावक समाज द्वारा की गई। समणी जिनप्रज्ञाजी ने तपस्या की महत्ता बताते हुए कहा- तप से कर्म की निर्जरा होने के साथ साथ अनेक बीमारियों से भी मुक्ति मिलती है। आयुर्वेद चिकित्सा में लंघन को बहुत महत्व दिया गया है। अतः हमें भी इसका प्रयोग करना चाहिए। सभी तपस्वियों को साधुवाद देते हुए समणी जी ने कहा इन सभी ने अपने आत्मबल का परिचय देकर पचरंगी अनुष्ठान को पूरा किया है। सभी को तपस्या में आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हुए सबसे छोटे तपस्वी आरव जैन (बेला) के प्रति विशेष मंगलकामना की। समणी वृंद ने कांटाबांजी श्रावक समाज को चातुर्मास काल में पंचाचार साधना करने की प्रेरणा दी।