नियम जितने सूक्ष्म होते हैं साधना उतनी ही बड़ी होती है

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नियम जितने सूक्ष्म होते हैं साधना उतनी ही बड़ी होती है

अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद के तत्वावधान में बैंगलोर स्तरीय व्यक्तित्व विकास कार्यशाला का आयोजन गांधीनगर स्थित तेरापंथ भवन में साध्वी उदितयशा जी ठाणा-४ के सान्निध्य में हुआ। तत्पश्चात् विजय गीत का संगान परिषद साथियों द्वारा किया गया। श्रावक निष्ठा पत्र का वाचन अभातेयुप वरिष्ठ उपाध्यक्ष पवन मांडोत द्वारा किया गया। परिषद् द्वारा संचालित प्रज्ञा संगीत सुधा ने मंगलाचरण किया। परिषद् अध्यक्ष विमल धारीवाल, सभा अध्यक्ष पारसमल भंसाली ने सभी का स्वागत किया। साध्वी उदितयशाजी ने अपने उद्बोधन में कहा कि जो मनुष्य असत्य से सत्य की और, अन्धकार से प्रकाश की और, मृत्यु से अमरत्व की और बढ़ता है अपने जीवन में इन संकल्पों को स्वीकार करता है वो परम लक्ष्य को प्राप्त करता है। नियम जितने सूक्ष्म होते हैं उसकी साधना उतनी ही बड़ी होती है, जिस प्रकार तलवार की धार जितनी सूक्ष्म और तेज होती वो उतनी ही ख़तरनाक होती है। प्रतिज्ञा और संकल्प को सिद्ध करने के लिये आग होनी चाहिए, ललक होनी चाहिये। साध्वी संगीतप्रभा जी ने युवकों को सहिष्णु बनने की प्रेरणा प्रदान की। साध्वी भव्ययशाजी ने गीतिका के माध्यम से वीतरागता के पथ पर आगे बढ़ने की प्रेरणा प्रदान की। साध्वी शिक्षाप्रभाजी ने गीतिका का संगान किया। परिषद् प्रभारी अमित दक ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि बैंगलोर परिषद् अभातेयुप निर्देशित सभी कार्यों को भव्य रूप से संपादित करती आ रही है। उन्होंने ‘प्रतिज्ञा हमारे जीवन में क्यों, कब और कैसे’ विषय पर अपने विचार रखे। अभातेयुप वरिष्ठ उपाध्यक्ष पवन मांडोत की अध्यक्षता में आयोजित इस कार्यशाला में मुख्य वक्ता विमल कटारिया ने छोटे-छोटे संकल्पों के द्वारा अपने आप का विकास करने का मार्ग बताया। मुख्य वक्ता सीपीएस राष्ट्रीय प्रशिक्षक अरविंद मांडोत ने प्रतिश्रुति शब्द की व्याख्या कर संकल्प की साधना और उसकी महत्ता पर प्रकाश डाला। अभातेयुप वरिष्ठ उपाध्यक्ष पवन मांडोत ने अपने विचार व्यक्त करते हुए विभिन्न कहानियों के माध्यम से संकल्प और प्रतिज्ञा का महत्व बताया। कार्यक्रम का संचालन मंत्री राकेश चोरड़िया तथा आभार ज्ञापन आलोक कुंडलिया ने किया।