तप की ईंटों से मजबूत बनी है तेरापंथ की नींव
साध्वी अणिमाश्रीजी के सान्निध्य में खिलोनी देवी धर्मशाला में 265 वां तेरापंथ स्थापना दिवस एवं मंत्र-दीक्षा का कार्यक्रम विशाल उपस्थिति में आयोजित हुआ। साध्वीश्री ने अपने वक्तव्य में कहा आचार्य भिक्षु ने तेले की तपस्या के साथ तेरापंथ की स्थापना आषाढ़ी पूनम के दिन की। तप की ईंटों से इसकी नींव मजबूत बनी हुई है एवं पूर्ण तिथि को तेरापंथ की स्थापना कर तेरापंथ को चिरकाल तक पूर्ण होने का वरदान दिया है। एक आचार्य के नेतृत्व में चलने वाला यह तेरापंथ धर्मसंघ मर्यादा की लक्ष्मण रेखाओं पर आगे बढ़ रहा है। आज का दिन गुरू के श्री चरणों में श्रद्धा, भक्ति और समर्पण की वर्धमानता की प्रेरणा दे रहा है। साध्वीश्री ने कहा- गुरू पूर्णिमा का यह दिन गुरु की महिमा गाने का दिन है। गुरू हमारी जीवन रूपी पतवार को भवसागर के पार पहुंचा सकता है। गुरू वह सूरज है जो हमारे जीवन को आलोक से भर देता है। गुरू वह चांद है जो अपनी चांदनी से सबको शीतलता प्रदान करता है।
हम सौभाग्यशाली हैं, हमें आचार्य भिक्षु जैसे गुरू मिले एवं वर्तमान में तीर्थकल्प आचार्य महाश्रमणजी की सन्निधि में साधना-आराधना कर रहे हैं। आचार्य श्री महाश्रमणजी के सन्निध्य में हमारी साधना आराधना प्रवर्धमान रहे। साध्वीश्री ने नौ साल तक के ज्ञानार्थियों को मंत्र-दीक्षा प्रदान की। साध्वी कर्णिकाश्री जी ने मंच का संचालन करते हुए आचार्य भिक्षु द्वारा की गई धर्मक्रान्ति का उल्लेख किया। डॉ. साध्वी सुधाप्रभा जी एवं साध्वी मैत्रीप्रभा जी ने अपने हृदयोद्गार व्यक्त किए। साध्वी समत्वयशाजी ने ग्यारह आचार्यों पर गीत के माध्यम से रोचक प्रस्तुति दी, जिसमें तेरह बहनों ने ग्यारह आचार्यों की जीवन झांकी प्रस्तुत की। महासभा उपाध्यक्ष संजय खटेड़, दिल्ली सभाध्यक्ष सुखराज सेठिया, उपाध्यक्ष विमल बैंगानी, महिला मंडल अध्यक्ष मधु सेठिया ने विचार व्यक्त किए। मानसरोवर गार्डन सभा के सदस्यों की मंगलाचरण के रूप में प्रभावक प्रस्तुति रही। विजय गीत का संगान तेयुप साथियों ने किया।
आभार ज्ञापन रवि प्रकाश जैन ने तथा मंत्र दीक्षा का संचालन तेयुप मंत्री मुदित लोढ़ा ने किया।