भिक्षु दर्शन प्रशिक्षण कार्यशाला
युगप्रधान आचार्यश्री महाश्रमणजी के आज्ञानुवर्ती उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमलकुमार जी स्वामी ठाणा 4 के सान्निध्य में अखिल भारतीय तेरापंथ युवक परिषद द्वारा निर्देशित भिक्षु दर्शन प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन तेरापंथ युवक परिषद डोम्बिवली द्वारा तेरापंथ भवन डोम्बिवली में किया गया। इस कार्यशाला में अभातेयुप राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश डागा, महामंत्री अमित नाहटा, सहमंत्री भूपेश कोठारी, कोषाध्यक्ष नरेश सोनी सहित स्थानीय अभातेयुप साथी सम्मिलित हुए। कार्यक्रम का शुभारंभ मुनि कमलकुमार जी के नमस्कार महामंत्र उच्चारण से हुआ। मुनिश्री ने अपने उद्गगार व्यक्त करते हुए कहा कि हम तेरापंथी हैं, हमें तेरापंथ की जानकारी होनी चाहिए। हमें भिक्षु स्वामी के सिद्धांतों को गहराई से समझने की आवश्यकता है।
भिक्षु स्वामी के सिद्धांत अकाट्य हैं। भिक्षु स्वामी ने बताया- त्याग धर्म, भोग अधर्म, संयम धर्म, असंयम अधर्म, अहिंसा धर्म, हिंसा अधर्म, उपदेश से हृदय परिवर्तन करना धर्म, बलात् रोकना अधर्म है। मुनिश्री ने कहा कि तेरापंथ की त्रिपदी केवल ज्ञेय ही नहीं उपादेय भी है। वह त्रिपदी है असंयमी के जीने की वांछा करना राग, मरने की वांछा करना द्वेष और संसार समुद्र से तरने की वांछा करना वीतराग देव का धर्म है।
स्वामीजी की इस त्रिपदी को हम सब समझे और औरों को भी समझाने का प्रयास करें। स्वामीजी जी ने दो प्रकार की अनुकंपा बतलाई- सावद्य और निर्वद्य। संसारी लोग अपने दिल दिमाग को स्पष्ट रखें कि संसार चलाने के लिए जो क्रियाएं की जाती हैं जैसे भोजन पकाना, खाना, विवाह करना-करवाना, भूखे को भोजन, प्यासे को पानी पिलाना, रोगी की चिकित्सा करना-करवाना ये सब संसार चलाने की प्रवृति है, इन्हें सावद्य समझें। परंतु किसी अज्ञानी को ज्ञानी बनाना, हिंसक को अहिंसक बनाना, दुराचारी को सदाचारी बनाना, व्यभिचारी को बह्मचारी बनाना, व्यसनी को निर्व्यसनी बनाना निर्वद्य अनुकंपा है। इस प्रकार का अभियान चलाने से व्यक्ति, परिवार, समाज देश और विश्व का कल्याण हो सकता है। कार्यक्रम में मंगलाचरण संजय खाब्या और हितेष हिरण ने किया। भगवतीलाल कच्छारा ने स्वागत किया।
अभातेयुप राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेश डागा, महामंत्री अमित नाहटा ने अभातेयुप के त्रिआयामी उद्देश्य सेवा-संस्कार-संगठन के अंतर्गत आयामों की जानकारी दी। कार्यक्रम का संयोजन एवं आभार ज्ञापन मनोज सिंघवी ने किया। कार्यक्रम के उपरांत अभातेयुप द्वारा प्रमाण पत्र का वितरण स्थानीय तेयुप के सहयोग से किया गया। लगभग 250 श्रावक-श्राविकाओं ने कार्यशाला का लाभ उठाया।