आत्मा को कर्मों से हल्का बनाती है तपस्या

संस्थाएं

आत्मा को कर्मों से हल्का बनाती है तपस्या

आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी प्रज्ञाश्रीजी आदि ठाणा 4 की सन्निधि में तीन पचरंगी व एक नौ के थोकड़े का प्रत्याख्यान हुआ। पचरंगी तप में शहादा के अतिरिक्त नासिक, साकरी, पिंपलनेर, दोंडाईचा, सारंगखेड़ा, शिरपुर, बोराला, आदि शहादा चोखले के श्रावक-श्राविकाओं ने बड़े उत्साह से भाग लिया। साध्वी प्रज्ञाश्रीजी ने प्रेरणा देते हुए कहा कि तपस्या संघ की नीवों को मजबूत बनाती है व आत्मा को कर्मों से हल्का बनाती है। चातुर्मास विशेष तपस्या का समय होता है। इस अवसर पर साध्वी सरलप्रभा जी ने विशेष प्रेरणा देते हुए आगे बढ़ने का उत्साह बढ़ाया। साध्वी विनयप्रभाजी और साध्वी प्रतीकप्रभा जी ने मधुर गीत का संगान किया। सभा अध्यक्ष कैलाश, दिलीप, ऋषभ गेलड़ा, पिंपलनेर से स्वरूप गोगड़ ने भी तपस्वियों के तपस्या की अनुमोदना की।