ज्ञान, संपदा और शक्ति है अमूल्य निधि
भिक्षु समाधि स्थल संस्थान में श्री राजकीय बालिका उच्च माध्यमिक विद्यालय सांडिया से समागत लगभग 150 बालिकाओं एवं अध्यापकों को सम्बोधित करते हुए मुनि मणिलालजी के मुनि चैतन्य कुमार जी ‘अमन’ ने कहा- शिक्षा और संस्कारों के योग से जीवन का निर्माण होता है। आज के युग में शिक्षा के प्रति रुझान बढ़ा है किन्तु संस्कार घट रहे हैं, जो चिन्तनीय प्रश्न है। जब तक जीवन में अच्छे संस्कार नहीं होंगे तो वह शिक्षा भार बन जाएगी। मुनिश्री ने कहा- एक कन्या में लक्ष्मी, सरस्वती और दुर्गा तीनों का वास है। लक्ष्मी-सम्पदा, सरस्वती श्रुत-ज्ञान और दुर्गा-शक्ति के रूप में प्रतिष्ठित्त है। अतः प्रत्येक कन्या को चाहिए कि वह कभी भी अपने आप में हीनता महसूस नहीं करें बल्कि अपने भीतर की शक्ति को जगाकर ज्ञान और सम्पदा की दिशा में आगे बढने का प्रयास करें। ज्ञान, सम्पदा और शक्ति वह अमूल्य निधि है जिसमें व्यक्ति सदैव विकास की ओर अग्रसर हो सकता है। इस अवसर पर विद्यालय के प्रधानाचार्य मोहनलाल चौधरी एवं प्राध्यापक लक्ष्मीनारायण सिलोड़ा उपस्थित थे। मीडिया प्रभारी लूणकरण बैद ने आचार्य भिक्षु एवं समाधि स्थल के बारे में अवगत कराया। आचार्य भिक्षु समाधि पर सभी ने अपनी श्रद्धा प्रकट करते हुए प्रसन्नता व्यक्त की।