‘कैसे बने परिवार का भविष्य’ संगोष्ठी का आयोजन

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‘कैसे बने परिवार का भविष्य’ संगोष्ठी का आयोजन

उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमलकुमार जी के सान्निध्य में 'कैसे बने परिवार का भविष्य' विषय पर संगोष्ठी का आयोजन डोंबिवली सभा भवन में किया गया। इस विषय पर आईआरएस सारिका जैन (ज्वाइंट कमिश्नर इनकम टैक्स) मुंबई ने उदाहरणों के साथ अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने अपना परिचय देते हुए बताया कि मैं जैन हूं, तेरापंथी हूं, मैं आचार्यश्री तुलसी, आचार्यश्री महाप्रज्ञजी, आचार्यश्री महाश्रमण जी के दर्शन कर चुकी हूं और अपना तीर्थ भी गुरु दर्शन को मानती हूं। आप लोग भी अपने बच्चों को जैनत्व के संस्कार दें, उनको साधु-साध्वियों के प्रवचन सुनाएं, स्वयं सामायिक करें व बच्चों को भी सामायिक के संस्कार दें। जिससे आत्म कल्याण के साथ धर्म संघ की प्रभावना हो सके। उन्होंने उपस्थिति और अनुशासन देखकर प्रसन्नता की अनुभूति की। मुनि कमलकुमार जी स्वामी ने अपने वक्तव्य के द्वारा बताया कि आप सोचते हैं कि हमारे बच्चे धनवान हों, विद्वान हों, बलवान हों परंतु थोड़ा यह भी चिंतन करें कि हमारे बच्चे चरित्रवान हों। अगर चरित्र की सुरक्षा होगी तो उनकी शोभा ही नहीं बढ़ेगी वह एक दिन इंसान से भगवान भी बन सकते हैं। जीवन का लक्ष्य केवल डिग्री पाना और पैसा कमाना ही नहीं है, थोड़ा इस पर भी गहराई से चिंतन करें। बच्चों में विनम्रता, सहिष्णुता, सेवा-भावना, कर्तव्य परायणता के संस्कार हों, जिससे परिवार में शांति और सौहार्द का वातावरण बना रहे। इस अवसर पर रेखा खांटेड ने 24, चंदनमल धींग ने 16, सरोज बैद ने 12, दर्शन मेहता ने 23, हेमलता मुणोत ने 23, नानालाल धोका ने 8 की तपस्या का प्रत्याख्यान किया। तेरापंथ सभा मुंबई के अध्यक्ष माणक धींग ने भी अपने विचार व्यक्त किए।