शरीर से पहले मन की स्वच्छता बनी रहे

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शरीर से पहले मन की स्वच्छता बनी रहे

अभातेममं के निर्देशानुसार तेरापंथ महिला मंडल आर. आर. नगर द्वारा चित समाधि शिविर का आयोजन किया गया। कार्यशाला की शुरुआत युग प्रधान आचार्य श्री महाश्रमण जी की सुशिष्या साध्वी सिद्धप्रभा जी के द्वारा नमस्कार महामंत्र से हुई। मंडल की बहनों के द्वारा मंगलाचरण किया गया। अध्यक्ष सुमन पटावरी ने पधारी हुई बहनों का स्वागत किया। कार्यक्रम दो चरणों में संपादित किया गया। साध्वी सिद्धप्रभा जी ने कहा हमारा चित्त समाधि में रहे, स्वावलंबी बने, सहिष्णुता का अभ्यास करते रहें। शारीरिक स्वच्छता से पहले मन की स्वच्छता बनी रहे।
दीर्घ स्वास का अभ्यास करें, संयम को जीवन में अपनाएं, आवश्यकता से अधिक न बोलें, सोचें और फिर बोलें। प्रथम चरण में साध्वी आस्थाप्रभाजी ने चित्त समाधि का अर्थ बताते हुए कहा- चित्त का अर्थ है चेतना और समाधि का अर्थ है मन, वचन और काया में समता। साध्वीश्री ने शरीर और मन की क्षमता को समझने और उनको स्वस्थ रखने के लिए प्राणायाम एवं योग के प्रयोग कराए। द्वितीय चरण में साध्वी मलययशा जी ने कहा कि सामाजिक दायित्व का निर्वाह करते हुए चित्त समाधि में रहें। जो व्यक्ति मन को जीत लेता है, वह सब को जीत लेता है। हमारा जीवन शुभ भावों में रहें, हम सबसे मैत्री भाव रखें। साध्वी दीक्षाप्रभाजी ने मंगल भावना के प्रयोग कराते हुए बताया कि बाहरी आनंद खोजने के बजाय आंतरिक शक्तियों को जगाने का प्रयास करें। शिविर में लगभग 50 बहनों की उपस्थित रही। चित्त समाधि योग शिविर का संचालन ममता जैन एवं आभार ज्ञापन पदमा महेर ने किया।