संयम सौरभ महकाई
संयम सौरभ महकाई।
साध्वी लावण्यश्रीजी जीवन बगियां सरसाई।।
सौम्य सहजता और मधुरता याद तुम्हारी आती,
कोप्पल में सहवास मिला, भक्ति नहीं भूली जाती,
मीठी-मीठी बोली सतीवर सबके है मन भाई ।।
विनय समर्पण कार्यकुशलता तेरी अद्भुत न्यारी,
वत्सलता से हर मानव को लगती थी तुम प्यारी,
सात दशक तक करी साधना गण की आब बढ़ाई।।
तुलसी युग में संयम श्री की अतुल सम्पदा पाई,
समय-समय पर महाप्रज्ञ गुरुवर की कृपा सवाई,
महाश्रमण के स्वर्णिम युग में नैय्या पार लगाई।।
निज्जरट्ठिये आगम की वाणी को सफल बनाया,
सिद्धान्त श्री दर्शित प्रभा का योग मिला मनचाया,
आध्यात्मिक सम्बल सेवा से, कर ली खूब कमाई,
तन से मन से सेवा कर, चित्त समाधि पहुँचाई।।