श्रावक की ग्यारहवीं प्रतिमा का स्वीकरण

संस्थाएं

श्रावक की ग्यारहवीं प्रतिमा का स्वीकरण

आचार्य श्री महाश्रमणजी के शिष्य मुनि कुलदीपकुमार जी के सान्निध्य में प्रतिमाधारी तप आराधक ‘अणुव्रत गौरव’ डालचंद कोठारी के ग्यारहवीं प्रतिमा एवं नवीन कोठारी के मासखमण प्रत्याख्यान का कार्यक्रम आयोजित हुआ। डालचंद कोठारी मुंबई के प्रथम श्रावक हैं, जिन्होंने 10 प्रतिमा पूर्ण कर ग्यारहवीं प्रतिमा स्वीकार की।
शुभ मुहूर्त में 11वीं प्रतिमा का प्रत्याख्यान मुनि कुलदीपकुमार जी के मुखारविंद से करवाया गया। साथ ही दादर से तपस्वी नवीन कोठारी के 28 की तपस्या का प्रत्याख्यान भी करवाया गया। दक्षिण मुंबई महिला मंडल ने सुमधुर गीतिका से तप की अनुमोदन की। मुनि कुलदीपकुमार जी ने उद्बोधन देते हुए कहा - भगवान महावीर ने गृहस्थों के लिए साधना की दृष्टि से जो आचार संहिता दी है, उसमें साधक जब साधना के उच्च शिखर का आरोहण करता है तो वह श्रावक-प्रतिमा को स्वीकार करता है।
श्रमणोपासक रिछेड़ निवासी मुंबई प्रवासी डालचंद कोठारी ने श्रावक की 11वीं प्रतिमा अंगीकार कर अपनी साधना को सौरभमय बनाया है। मुनि मुकुलकुमार जी ने कहा- 11वीं प्रतिमा धारण करने का तात्पर्य है श्रावकत्व के शिखर पर पहुंच जाना। श्रावक डालचंद कोठारी साधना की गहराई को प्राप्त कर अपना उर्ध्वारोहण करें। तपस्वियों की अनुमोदना के स्वर में पारिवारिक सदस्यों ने अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। कोठारी परिवार ने गीतिका प्रस्तुत की। महासभा से किशन डागलिया, महाप्रज्ञ विद्यानिधि फाउंडेशन के अध्यक्ष कुंदनमल धाकड़, मुंबई सभा अध्यक्ष माणक धींग, दक्षिण मुंबई सभा अध्यक्ष सुरेश डागलिया, महिला मंडल अध्यक्षा वनिता धाकड़, उपासक अशोक बरलोटा, दादर सभा से गणपत मारु, एलफिंस्टन से निर्मल भंसाली ने अपने वक्तव्य के द्वारा उनके तप की अनुमोदना की। निवर्तमान सभा अध्यक्ष गणपत डागलिया ने सभी का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का कुशल संचालन सभा के मंत्री दिनेश धाकड़ ने किया।