रिश्ते व शीशे होते हैं नाजुक
साध्वी संयमलताजी के सान्निध्य में ‘How to Build a Strong Relationship’ कार्यशाला का आयोजन किया गया। आज की युवापीढी अपने रिश्तों को मधुर कैसे बनाए इस विषय पर साध्वी संयमलताजी ने कहा- स्वास्थ्य के बिना शरीर व प्राण अधूरे हैं, वैसे ही परिवार के बिना जीवन अधूरा है। परिवार में अनेक व्यक्ति मिलकर एक छत के नीचे त्याग, समर्पण व कर्तव्य की भावनाओं को मजबूत करते हैं। साध्वीश्री जी ने कहा रिश्ता व शीशा दोनों नाजुक होते है फर्क सिर्फ इतना होता है कि शीशा गलती से टूटता है व रिश्ता गलतफहमी से। हम रिश्तों में जुड़ाव व प्रेम रखें। प्राचीन समय में पत्तों में खाना खाते तो रिश्ते हरे-भरे रहते थे, मिट्टी में खाते तो जमीन से जुड़े रहते थे। आज के रिश्ते थर्माकोल जैसे हैं, यूज एंड थ्रो वाले हो गए हैं। कार्यक्रम की मंगल शुरुआत कन्या मंडल ने की। साध्वी मार्दवश्रीजी ने कुशल संचालन करते हुए कहा- संसार रिश्तों का पुलिंदा है। हर रिश्ते की अपनी वैल्यू है। रिश्ते की बुनियाद है आज की युवापीढ़ी। रिश्तों में हुई गलतियों को मिट्टी पर लिखकर उसे भूल जाएं और रिश्तों की मधुर बातें पत्थरों पर लिखकर उसे मजबूती प्रदान करें। मंड्या कन्या मण्डल ने अधिवेशन में तीन पुरस्कार व दो सर्टिफिकेट जीते, तेरापंथ संभा द्वारा कन्याओं को प्रोत्साहित किया।