कन्यामंडल का गठन

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कन्यामंडल का गठन

जोरावरपूरा। ‘शासनश्री’ साध्वी शशिरेखा जी की प्रेरणा से जोरावरपुरा कन्यामंडल का गठन हुआ जिसमें पन्द्रह कन्याओं की उपस्थिति रही। साध्वीश्री जी ने कहा कि यह कन्यामंडल कालूगणी का ही प्रताप है। कालूगणी ने जब आचार्यश्री तुलसी का युवाचार्य बनाया तब साध्वी शिक्षा व चित्त समाधि पर ध्यान देने के लिए कहा। गुरु का वचन निभाने वाले उनके शिष्य ही होते हैं। आचार्यश्री तुलसी ने अपने गुरु वचनों का साकार करते हुए महिलाओं की घूंघट प्रथा को हटाते हुए कहा कि युग बदल रहा है। उनका सपना था कि महिलाओं को भी जगाना है। आगे विकास के पथ पर बढ़ना है।
साध्वीश्री ने सभी कन्याओं को जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। साध्वी शीतलयशा जी ने बताया कि जिस व्यक्ति में सभ्यता, संस्कृति और सहिष्णुता हो वो अपने जीवन में बहुत आगे जा सकता है। हमारी जैन संस्कृति यदि कायम रहे तो एक कन्या एक अच्छी महिला बन सकती है। जिस प्रकार नदी एक छोटे से स्रोत से शुरु होकर बहुत बड़ी बन जाती है उसी प्रकार व्यक्ति में अगर संयम साधना हो तो वह भी अपने जीवन में आगे बढ़ सकता है। महिला मंडल मंत्री मोनिका बुच्चा ने कार्यक्रम की शुरुआत मंगलाचरण से करते हुए अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि साध्वीश्री जी की अथक प्रेरणा से आज जोरावरपुरा में कन्यामंडल का गठन हुआ। कन्यामंडल द्वारा गीतिका प्रस्तुत की गई।