श्रीमद् जयाचार्य के निर्वाण दिवस पर विशेष
श्री जयाचार्य की गौरव गाथा गाएंगे।
सादर- सविनय शत-शत शीश नमायेंगे।।ध्रुव।।
रोयट में जन्म सुहाया, था कल्लू मां का जाया।
पिता आईदान का प्यारा, जन-जन का भाग्य जगाया।
भला न पायेंगे।। 1।।
श्री भारीमाल से शिक्षा, श्री ऋषिराय कर दीक्षा।
शास्त्रों की गहन समीक्षा, करते तज सकल प्रतीक्षा।
सदा सुनायेंगें।। 2।।
अनुशास्ता तपसी ध्यानी, आगम के गहरे ज्ञानी।
कुल डेढ़ मास में घर के, तर गए हैं चारों प्राणी।
भाग्य सरायेंगे ।। 3।।
जीवन था पावन निर्मल, थे जागरूक हर पल-पल।
लेखक कवि दूरदर्शी थे, स्वाध्यायी प्रतिपल निश्छल।
मिलजुल ध्यायेंगे।। 4।।
तर्जः कर ले वास निवास