बारह व्रत दीक्षा कार्यशाला का विविध आयोजन
रायपुर के पटवा भवन में तेरापंथ युवक परिषद् ने 'बारह व्रत स्वीकरण कार्यशाला' का आयोजन किया। मुनि सुधाकर कुमार जी ने कहा कि जीवन में अनेक भटकाने वाले मार्ग होते हैं, इसलिए माता-पिता को अपनी संतान पर ध्यान देना चाहिए। बच्चों की संगत और उनके मित्रों का चित्र उनके चरित्र को दर्शाता है। उन्होंने बताया कि बारह व्रत असंयम से संयम की ओर ले जाते हैं और इनका पालन करने वालों को बारह व्रती श्रावक-श्राविका कहा जाता है। मुनिश्री ने जीवन की सच्चाई और संतुलित दृष्टिकोण पर बल दिया, और कार्यशाला में मुनि नरेशकुमार जी ने प्रेरणादायक गीतिका प्रस्तुत की। कार्यशाला में अभय गोलछा, विकास बरलोटा, पंकज बैद, गौरव दुगड़, और वीरेंद्र डागा जैसे लोग उपस्थित थे। मुनिश्री ने कहा कि हमारी नजर उपभोग पर नहीं, बल्कि उपयोग पर रहनी चाहिए। बारह व्रत की कार्यशाला सिर्फ प्रवचन का विषय नहीं है, बल्कि प्रयोग की भूमि है। इसमें आप जितनी भी छूट चाहें रख सकते हैं। भगवान महावीर ने दो मान्यताएँ अगार और अणगार धर्म का प्रतिपादन किया। बारह व्रत असंयम से संयम की ओर ले जाने वाला होता है।