मासखमण तप अभिनंदन

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मासखमण तप अभिनंदन

डोंबिवली। उग्रविहारी तपोमूर्ति मुनि कमलकुमार जी के सान्निध्य में डोंबिवली में मासखमण तपस्वी दर्शन मेहता का अभिनंदन किया गया। इस अवसर पर मुनिश्री ने अपने विचार प्रकट करते हुए कहा कि जैन धर्म की तपस्या अपने आप में एक आदर्श है। तपस्या के विविध प्रकार है, नाना प्रकार की तपस्यायें देखने सुनने में आती है, परंतु हमारी तपस्या का मुख्य उद्देश्य आत्म शुद्धि कर्म निर्जरा है। जैसे-जैसे आत्मा की शुद्धि होगी कर्मों की निर्जरा होगी वैसे-वैसे आत्मविकास का पथ प्रशस्त होगा। दर्शन ने बड़े ही साहस का परिचय दिया है अन्यथा आजकल तो खाते-पीते भी चक्कर कमजोरी का क्रम बढ़ रहा है। इसने तपस्या में सामायिक, जप के साथ अच्छी धर्माराधना भी की, इस प्रकार की आडंबर रहित और साधना युक्त तपस्या प्रशंसनीय ही नहीं, सभी के लिए अनुकरणीय है। मुनिश्री ने स्वरचित गीत का संगान किया। तेयुप मंत्री संजय खाब्या ने भी स्वरचित गीत का संगान कर तप का वर्धापन किया। साध्वीप्रमुखाश्री विश्रुतविभाजी द्वारा प्रदत्त संदेश का वाचन तेयुप अध्यक्ष भगवतीलाल कच्छारा ने किया।