तप में कर जप का प्रयोग

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तप में कर जप का प्रयोग

जोरावरपुरा। ‘शासनश्री’ साध्वी शशिरेखा जी के सान्निध्य में तपस्वी भाई ईश्वरचंद छाजेड़, ऋषि छाजेड़ व सोनम बैद का तप अनुमोदन कार्यक्रम तेरापंथ भवन में रखा गया। कार्यक्रम की शुरुआत मंगलाचरण से ममता पारख ने की। साध्वीश्री ने भगवान ऋषभ से लेकर भगवान महावीर तक की तपस्याओं के बारे में बताते हुए कहा कि हमारा शरीर औदारिक है, जब तक अंतराय कर्म का क्षयोपशम नहीं होगा, तपस्या नहीं होगी। जैन धर्म त्याग और तपस्या की खान है। सभी चरित्र आत्माओं द्वारा गीतिका का संगान किया गया। साध्वी रोहितप्रभा जी ने बताया कि तपस्या से हमारे कर्म झड़ जाते हैं। तपस्या के समय हमारे अंदर निर्जरा के अतिरिक्त और कोई भाव नहीं होना चाहिए। परिवार की बहनों द्वारा तप अनुमोदना की गई। सभा अध्यक्ष बाबूलाल बुच्चा व जीवराज मरोठी ने अपने भावों की अभिव्यक्ति दी। कार्यक्रम का संचालन प्रेम बुच्चा ने किया।