सामंजस्य के लिए विनम्रता का होना जरूरी होता है

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सामंजस्य के लिए विनम्रता का होना जरूरी होता है

मुनि दीप कुमार जी ठाणा 2 के सान्निध्य में रिश्तों की डोर, न हो कमजोर विषयक कार्यशाला का आयोजन श्री जैन श्वेतांबर तेरापंथी सभा कोयम्बतूर द्वारा किया गया। मुनि दीपकुमार जी ने कहा सांसारिक दुनिया संबंधों की दुनिया है, वहां रिश्तों में मधुरता रहे, रिश्तों की डोर कमजोर न हो, उसे प्रेम की डोरी से बांधे रखना जरूरी है। परिवार की ताकत प्रेम है। परिवार के प्रति आप जिम्मेवारी निभाते रहेंगे तो परिवार भी आपके प्रति जिम्मेवारी निभाता रहेगा। जरूरत है आपको अपना हाथ आगे बढ़ाने की।
परिवार में जहाँ सास-बहू प्रेम से रहते हैं, भाई-भाई हिल मिलकर रहते हैं, बड़े बुजुर्गों का सम्मान करते हैं, देवरानी जेठानी बहनों जैसी रहती है, वह घर धरती का मानो जीता जागता स्वर्ग है। मुनिश्री ने आगे कहा घर का हर सदस्य संकल्प ले किसी का दिल नहीं दुखाएगा। बच्चों में अच्छे संस्कार अवश्य दें। बच्चों में अच्छे संस्कार से ही परिवार का भविष्य बनेगा। मुनि काव्यकुमार जी ने कहा- परिवार में सामंजस्य स्थापित करना बहुत बड़ी कला है। सामंजस्य के लिए विनम्रता का होना जरूरी होता है। अहंकार हर बात में आड़े आ जाता है। अहंकार के कारण विवाद पैदा होते हैं। जिस घर रूपी मंदिर में संस्कारों के दिए जलते हैं, उस परिवार रूपी मंदिर में हमेशा खुशहाली का आलोक रहता है। इस अवसर पर स्थानीय तेरापंथ युवक परिषद् का शपथ ग्रहण समारोह कार्यक्रम मुनिश्री के सान्निध्य में संपन्न हुआ।