पैंसठिया छंद अनुष्ठान का आयोजन
युवामनीषी आचार्य श्री महाश्रमण की सुशिष्या डॉ. गवेषणाश्री जी के सान्निध्य में पैंसठिया छंद का महाअनुष्ठान आचार्य महाश्रमण पब्लिक स्कूल में कार्यक्रम रखा गया। साध्वीश्री ने कहा वर्तमान में हर व्यक्ति क्लेश अशांति-असुरक्षा तथा राहु के दोष से संत्रस्त है इस पीड़ा से मुक्ति एवं सभी ग्रह दोषों की उपशांति के लिए यह पैंसठिया छंद रामबाण औषधि है, इसमें चौबीस तीर्थंकरों की स्तुति की गई है। सर्प जैसे बांसुरी के नाद से जागृत होता है वैसे ही इन चौबीस तीर्थंकरों की आराधना करने से आत्मा मोह निद्रा से जागृत होती है। इस छंद के यंत्र में एक से लेकर पच्चीस तक अंक हैं जिनमें तीर्थंकर के चौबीस अंक हैं और पच्चीसवां अंक ईष्ट की स्थापना के रूप में स्थापित किया गया है।
साध्वी मयंक प्रभा जी ने कहा यह छंद प्राचीन अनुभवी आचार्यों की सघन ध्यान साधना और गहन शास्त्रीय अध्ययन के द्वारा प्राप्त मानव जाति को अमूल्य भेंट है। इसकी आराधना से हित, शिव और मंगल तो होता ही है तथा विघ्न बाधाओं से उपशांति भी होती है। साध्वी दक्षप्रभाजी ने सुमधुर गीतिका की प्रस्तुति दी। कार्यक्रम की शुरुआत स्थानीय महिला मंडल के मंगलाचरण से हुई। प्रवीण सुराणा ने स्वागत भाषण प्रस्तुत किया। साध्वी मेरूप्रभाजी ने मंच संचालन किया। आभार ज्ञापन सुरेश रांका ने किया।