भक्तामर स्तोत्र अनुष्ठान का आयोजन
सरदारशहर। डॉ. साध्वी शुभप्रभाजी के सान्निध्य में भक्तामर स्तोत्र का अनुष्ठान आयोजित किया गया। साध्वीश्री ने कहा- हम सब साधक है। साधना के चार मार्ग हैं- ज्ञान, भक्ति, कर्म, संन्यास। उत्तराध्ययन सूत्र में ज्ञान, दर्शन, चारित्र, तप से भी आत्म कल्याण की चर्चा की गई है। भक्तामर आचार्य मानतुंग द्वारा रचित भक्तिपूरित रचना है। यह स्तुति बसन्ततिलका छन्द में लिखी गई है। भक्ति के प्राबल्य से चंदना ने प्रभु महावीर को, शोभजी ने आचार्य भिक्षु के दर्शन प्राप्त कर लिए। प्रारम्भ में साध्वीश्री जी द्वारा व्रजपंजर स्तोत्र, लोगस्स पाठ, ऊं ऋषभाय नमः मंत्र का 9 बार जप एवं पूरे भक्तामर का सामूहिक उच्चारण करवाया गया। साध्वीश्री जी ने प्रसंगवश आचार्य मानतुंग के जीवन वृत्त को भी संक्षेप में बताया। डॉ. साधी कान्तयशा जी ने ऋषभाय नमः गीत का संगान किया।