भक्तामर अनुष्ठान का आयोजन
बीदासर। आध्यात्मिक शक्तियों के जागरण हेतु समाधि केन्द्र व्यवस्थापिका साध्वी कार्तिकयशा जी द्वारा बीजमंत्रों सहित भक्तामर अनुष्ठान विशेष रूप से स्वस्तिक आकार में बीदासर समाधि केन्द्र तेरापंथ भवन में करवाया गया। कार्यक्रम के शुभारम्भ में साध्वी कार्तिकयशा जी ने भक्तामर-स्तोत्र की महिमा को उजागर किया। इस अवसर पर साध्वी श्री ने कहा– ‘भक्तामर स्तोत्र जैन परम्परा में सर्वमान्य स्तोत्र है। श्वेताम्बर और दिगम्बर दोनों इसका पाठ बड़ी श्रद्धा से करते हैं। भक्तामर स्तोत्र मंत्रगर्भित स्तोत्र है। इसमें मंत्रों के अक्षरों की ऐसी संयोजना की गई है कि स्तोत्र-जाप से सारा काम अपने आप हो जाता है। यह चमत्कार केवल शब्दों के उच्चारण मात्र से नहीं, शब्दों के साथ भावना के योग मिलने से होता है। लगभग 125 की संख्या में सभा, महिला मंडल, कन्या मण्डल, युवक परिषद् एवं श्रावक-श्राविका समाज ने अपनी उपस्थिति दर्ज करवायी। अन्त में साध्वी कार्तिकयशा जी ने चातुर्मासिक आगामी आध्यात्मिक योजना एवं कार्यों की रूपरेखा प्रस्तुत की एवं पचरंगी तप की प्रेरणा प्रदान की।