जयाचार्य मर्यादा, अनुशासन, नवीनता के पोषक थे

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जयाचार्य मर्यादा, अनुशासन, नवीनता के पोषक थे

तेरापंथ धर्मसंघ में आचार्य भिक्षु के बाद चौथे आचार्य जयाचार्य प्रारंभ से ही विलक्षणता लिए थे। वह प्रज्ञावान व मर्यादा, अनुशासन, नवीनता के पोषक थे। उनकी जोड़ कला बेजोड़ थी। अनेक प्रसंगों में देव सेवा के प्रसंग प्रेरक हैं। चौबीसी आज भी मधुरता लिए विघ्न विनाशक है। ये उद्गार ‘शासन गौरव’ साध्वी राजीमती जी ने जयाचार्य के 144 वां महाप्रयाण दिवस पर कहे। मंगलाचरण युवती मंडल की बहनों ने किया। साध्वी कुसुमप्रभाजी, साध्वी प्रभातप्रभाजी, उपासक अनुराग बैद, सुनील बैद, इन्दरचन्द बैद, महिला मंडल अध्यक्ष सुमन मरोठी, महावीर नाहटा ने श्रद्धांजलि भाव अर्पित किए। तेयुप अध्यक्ष निर्मल चौपड़ा ने भाग्य चक्र प्रश्नोत्तरी के बारे में जानकारी दी। कुशल संचालन साध्वी प्रभातप्रभाजी ने किया।