पर्युषण का ठाठ
बोलाराम
साध्वी काव्यलता जी के सान्निध्य में पर्युषण पर्व एक झलक रखा गया। साध्वी काव्यलता जी ने कहा कि पर्युषण जिनशासन का प्रमुख पर्व है। पर्युषण आत्मावलोकन एवं प्रकाश का पर्व है। अंतर जगत की यात्रा करने एवं भीतर को आलोकित करने का आध्यात्मिक पर्व है। साध्वी ज्योतियशा जी ने कहा कि जो व्यक्ति खाने में संयम करता है। वह हमेशा प्रसन्न रह सकता है। साध्वी सुरभिप्रभा जी ने मधुर गीत का संगान किया। बोलाराम के भाई-बहनों ने उपवास का प्रत्याख्यान किया। कार्यक्रम का शुभारंभ तेममं की बहनों ने सुमधुर गीत से किया। मंच का संचालन साध्वी ज्योतियशा जी ने किया। पर्युषण पर्व के निर्धारित विषयस्वाध्याय दिवस, सामायिक दिवस, मौन दिवस, जप दिवस, ध्यान दिवस, अणुव्रत चेतना दिवस पर साध्वी काव्यलता जी के प्रेरक वक्तव्य भाव विभोर करने वाले थे। साध्वी सुरभिप्रभा जी द्वारा मधुर गीत एवं सामायिक मौन दिवस पर वक्तव्य हुआ। तेरापंथ महिला मंडल, युवती मंडल, तेयुप, हैदराबाद, टीपीएफ की युवा शक्ति, तेरापंथ सभा, सिकंदराबाद आदि सभा-संस्थाओं द्वारा समय-समय पर गीत, वक्तव्य हुए। तेयुप द्वारा अभिनव सामायिक का प्रयोग की प्रस्तुति दी।
तेरापंथ सभा बोलाराम के अध्यक्ष रतन सुराणा ने कहा कि साध्वीश्री जी के अथक श्रम से हमारे बोलाराम में जो धर्म की बहार आई वह शब्दातीत है। पर्युषण पर्व में रतनलाल, मनीष पटावरी, पंकज संचेती, मिरंज सुराणा, राहुल सुराणा आदि युवकों का श्रम सराहनीय रहा। तेममं की अध्यक्षा दमयंति सुराणा, मंत्री स्नेहा लुणावत आदि बहनों का सहयोग सराहनीय रहा। साध्वी काव्यलता जी ने एकासन का मासखमण सानंद संपन्न किया। पर्युषण पर्व में साध्वीश्री जी के साथ साध्वी ज्योतियशा जी, साध्वी सुरभिप्रभा जी का श्रम भी शब्दातीत रहा। पर्युषण पर्व में 4 अठाई, 1 नौ, 35 तेल की तपस्या। 20 तेरापंथी परिवार के होते हुए भी संवत्सरी पर्व पर 60 पौषध सानंद संपन्न हुए। इस प्रकार साध्वीश्री जी का बोलाराम पर्युषण पर्व आध्यात्मिक दृष्टि से आलोकमयी रहा।