मन मजबूती से स्वीकारा

मन मजबूती से स्वीकारा

शासनश्री जी ने संथारा, मन मजबूती से स्वीकारा।
रतनश्री जी ने संथारा, मन मजबूती से स्वीकारा।।
अन्तिम मनोरथ पूर्ण किया, सजगता से अनशन लिया।
समभावों में रहकर सतिवर, तोड़ी है कर्मों की कारा।।
बहत्तर वर्षों का संयम जीवन, रहा तेरा है उज्ज्वलतम।
साधुपन शुद्ध पाला तुमने, चरित्र रहा उजला तेरा।।
अनमोल तेरी वो शिक्षाएं, हम जीवन में अपनाएंगे।
उपकार भूल नहीं पाएंगे है आभारी सतिवर तेरा।।
ऋजुता करूणा ममता तेरी, पाप भीरू वत्सलता तेरी।
भावों में तेरे निर्मलता, जंग में होता जयकारा तेरा।।
ममता से प्रीत हटाई है, आत्मा से प्रीत लगाई है।
बड़ी हिम्मत करके सतिवर, ने पचखा है देखो संथारा।।
महरोली अनुकंपा भवन में, देखो अजब नजारा है।
शासन माता वात्सल्य पीठ में पचखा देखो संथारा।।
लय : दुनिया में देव अनेकों हैं