सर्वोत्तम जीने वाले होते विरले
सर्वोत्तम जीने वाले होते विरले।
रत्न तीन हैं पास उन्हीं के पल उजले ।।
शासनश्री साध्वीश्री रतनश्री जी मासीजी,
जीवनभर तकदीर सजाई, नेह से भीजी।
कार्यों से पहचान बनाई, संघ तले ।।
लम्बी-लम्बी यात्रा कर जय-विजय सदा पाई,
विवेकशील व्यवहार सभी के लिए है वरदाई।
संतुलित वाणी मन-सारे सपन फले ।।
सहनशीलता और समर्पण जीवन के हैं संग,
श्रम से सदा कहानी रचती, गुरु निष्ठा हर अंग।
खुशमिजाजी आशावादी सदा चले ।।
जीवनभर की पुण्याई से संथारा पाया,
गुरुदेव की शुभ दृष्टि से, तप का रंग छाया।
करो आत्मलोचन कर शुद्धि ज्योति जले।।
लय : दुल्हे का सेहरा रचा