जीवन धन्य बण्यो गुलजार
जीवन धन्य बण्यो गुलजार, सतिवर रतनश्री।
पायो साचो शिवपुर द्वार सतिवर रतनश्री।।
भैक्षव शासन ओ सुखदायो, गुरु तुलसी स्यूं संयम पायो।
महाप्रज्ञ स्यूं शक्ति पाई, रतनश्री।।
पिता हुलासमलजी घर थे आया, माता विद्या रै मन भाया।
चोरड़िया कुल चमकायो, सतिवर रतनश्री।।
छोटी वय में संयम पायो, तेरापथ रो सुयश बढ़ायो।
थांरी गांवा गुण गरिमा, सतिवर रतनश्री।।
चेतन तन ने न्यारो समझो, पाणी भोजन खारो लाग्यो।
पचख्यो संथारो सुखकार, सतिवर रतनश्री।।
गुरु महाश्रमण स्यूं संबल पायो, मन ने थे मजबूत बणायो।
शूरवीरता दिखाई, सतिवर रतनश्री।।
म्हारै जीवन में साहस भरज्यो, स्वर्गा में भी मत भूलिज्यो।
संगीत, कमल बलिहारी जावै, सतिवर रतनश्री।।
शांति, मुदिता बलिहारी जावै, सतिवर रतनश्री।।
तर्ज-म्हांरी नैय्या खेवण