बनाया जीवन को गुलजार
बनाया जीवन को गुलजार।
शासनश्री साध्वी रतनश्री धन्य धन्य सौ बार।।
श्री डूंगरगढ़ का चोरड़िया कुल नामी संस्कारी,
तुलसी प्रभु की अनुकंपा से संयम निधि स्वीकारी।
तीन अनुजा एक भतीजी अनुगामी सहकार ।।
यात्राओं से गण प्रभावना निज पर उपकार साधा,
सहज सरल जीवन की पोथी, आत्मा को आराधा ।
संयम पथ पर कदम बढ़ाया गुरु दृष्टि अनुसार।।
जीवन के दसवें दशक में हद हिम्मत दिखलाई,
घोर वेदना तन में किन्तु मन में शान्ति समाई ।
समता रस में अवगाहन कर अनशन से उद्धार।।
भारत की रजधानी दिल्ली धरा बणी कल्याणी,
जयप्रभा जी, कुलबाला जी की राहें सहनाणी ।
शासन माता का वात्सल्य पीठ सदा सुखकार ।।
खान-पान तजना अति दुष्कर जग में सतिवरा जी,
बढ़ते-चढ़ते परिणामों पर टिकी हुई है बाजी ।
आत्मा से आत्मा का दर्शन करे भवों से पार ।।
महाश्रमण की कृपा शुभंकर खुले मुक्ति के द्वार।।
लय - धर्म की लौ जलाएं हम