अनशन की महिमा गाएं
जय जय जय सति रतनश्री जी, शासनश्री कहलाए।
अनशन की महिमा गाएं।।
शासन मां की पुण्यधरा पर, जागी है पुण्याई।
संथारा कर सतिवर तुमने, गण में ख्यात बनाई।
प्राणवान संकल्प तुम्हारा, हम बलिहारी जाएं।।
गिरीगढ़ का चौरड़िया परिकर, सचमुच में सौभगी।
पॉंच रत्न बहराए गण में, कुल की किस्मत जागी।
पहली रतन हो सतिवर तुम तो, चार रतन फिर आए।
शासनश्री जय, कुल भगिनी को, संथारा करवाया।
छोटी बहना ने अब तुमको, संथारा पचखाया।
खूब दीपावो जिनशासन को मंगल भाव सुनाएं।।
दो ऐसा आशीर्वर हमको, गण सम्मान बढ़ाएं।
साढ़े तीन करोड़ रूंवाली, गण कीरत फैलाए।
आयरियं शरणं गच्छामि का, नाद सदा गुंजाए।।
लय - जहां डाल-डाल पर