भिक्षु चरमोत्सव एवं तप अभिनंदन
हैदराबाद
19वीं सदी के महान संत आचार्य भिक्षु विचार क्रांति एवं आचार क्रांति के पुरोधा थे। उन्होंने शिथिलाचार के विरुद्ध बगावत की। सत्य को प्रतिष्ठित करने के लिए वे ताउम्र संघर्ष करते रहे। ये उद्गार आचार्य भिक्षु चरमोत्सव के उपलक्ष्य में साध्वी निर्वाणश्री जी ने कहे।
साध्वी डॉ0 योगक्षेमप्रभा जी ने कहा कि मारवाड़ की शुष्क धरा में जन्म लेने वाले आचार्य भिक्षु महान दार्शनिक थे। इस अवसर पर साध्वी योगक्षेमप्रभा जी, साध्वी कुंदनयशा जी, साध्वी मुदितप्रभा जी, साध्वी मधुरप्रभा जी ने सुमधुर गीत का संगान कर माहौल को भक्तिमय बना दिया। तेरापंथ सभा, सिकंदराबाद के मंत्री सुशील संचेती ने अभिव्यक्ति दी। तेरापंथ महिला मंडल, हैदराबाद, तेरापंथ आगापुरा के कार्यकर्ताओं, तेरापंथ आगापुरा की बहनों द्वारा समुच्चारित गीतों ने सबको भक्ति से ओत-प्रोत बना दिया। आगापुरा क्षेत्र के कार्यकर्ता प्रमोद भंडारी ने अपने भाव व्यक्त किए। कमल बैद के परिवार की ओर से धृति नाहटा ने अपने बाल सुलभ भावों की प्रस्तुति दी तथा सीमा, कविता, ज्योति एवं प्रभा के द्वारा गीत का संगान किया गया। मंच संचालन साध्वी कुंदनयशा जी ने किया।