सेवा में शुद्धता के लिए साथ न जोड़ें कामना : आचार्यश्री महाश्रमण

गुरुवाणी/ केन्द्र

सेवा में शुद्धता के लिए साथ न जोड़ें कामना : आचार्यश्री महाश्रमण

तीर्थंकर के प्रतिनिधि परम पूज्य आचार्यश्री महाश्रमणजी ने जिनवाणी का रसास्वाद कराते हुए फरमाया कि आयारो आगम के दूसरे अध्ययन में दो शब्द प्राप्त होते हैं- अनुस्रोत और प्रतिस्रोत। संसार व इन्द्रिय विषयों में बहना अनुस्रोत है, त्याग-संयम में प्रतिस्रोतगामिता हो जाती है। सामान्य आदमी अनुस्रोतगामी हो जाता है। साधु, साधक स्रोत के प्रतिकूल चलने वाला होता है। स्रोत के विरूद्ध में चलना कुछ कठिन होता है।
सामान्य आदमी परिग्रह की बुद्धि रखने वाला, ममत्व का भाव, आसक्ति रखने वाला होता है। जो साधक-साधु अणगार है, वह दृष्टा है पर वह पदार्थों के प्रति आसक्ति, परिग्रह की बुद्धि नहीं रखता। गृहस्थों में भी यह साधना हो सकती है- आसक्ति से बचना और ज्ञाता-दृष्टा भाव में रहना। परिवार के दायित्व को तो निभाना पड़ता है, पर समय अनुसार निवृत्ति की दिशा में आगे बढ़ने का प्रयास हो। सेवा साधक श्रेणी भी साधना का अंग है। साधु को तो अनासक्ति की मूर्ति होना चाहिये। गृहस्थ भी साधना करने वाले बनें। आसक्ति से गाढ़ कर्म का बन्ध हो सकता है। अनासक्ति से कर्मों का हल्कापन रह सकता है। चौदहवें गुणस्थान में बन्ध नहीं है, ग्यारहवें, बारहवें, तेरहवें में सिर्फ योगरूप बन्ध होता है, कषाय नहीं है। मनुष्य के व्यवहार है तो योग तो रहेगा पर कषाय मंदता का प्रयास हो। साधक व्यक्ति ज्यादा से ज्यादा कषाय मुक्त रहने का प्रयास करे। विवेक-अनासक्ति रहे, जितना हो सके आरम्भ-संमारंभ से बचें। जीवन में अनासक्ति, नैतिकता और ईमानदारी रहे, पारदर्शिता रहे।
आचार्य प्रवर ने विशेष प्रेरणा प्रदान करते हुए कहा सेवा साधक श्रेणी के लोग हैं तो सेवा निष्काम भाव से हो तो सेवा में शुद्धता रह सकती है। सेवा में शुद्धता के लिए सेवा के साथ कामना न जुड़े। सेवा के साथ साधना करने वाला सेवा साधक हो सकता है।
साध्वीवर्याजी ने अपने उद्बोधन में रोहिणेय चोर के प्रसंग को विवेचित करते हुए कहा कि सम्यक्त्व मोक्ष मार्ग की नींव है। सम्यक्त्व के बिना चारित्र भी प्राप्त नहीं होता है। अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल के 49वें राष्ट्रीय अधिवेशन का मंचीय कार्यक्रम का पूज्यवर की सन्निधि में आयोजन हुआ। तेममं सूरत ने मंगलाचरण गीत की प्रस्तुति दी। राष्ट्रीय अध्यक्षा सरिता डागा ने अपनी भावना अभिव्यक्त की। महामंत्री नीतू ओस्तवाल ने विकास की जानकारी दी। अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मंडल की ओर से कमला कठोतिया को 'श्राविका गौरव' अलंकरण प्रदान किया गया। अभिनंदन पत्र का वाचन अभातेममं की पूर्व अध्यक्ष पुष्पा बैद ने किया। सीतादेवी सरावगी प्रतिभा पुरस्कार डॉ. तारा दुगड़ व नीतू चौपड़ा को प्रदान किया गया। अभिनंदन पत्र का वाचन क्रमशः संरक्षिका शांता पुगलिया तथा उपाध्यक्षा सुमन नाहटा ने किया। पुरस्कार व सम्मान प्राप्तकर्ताओं ने अपनी अभिव्यक्ति दी।
साध्वीप्रमुखाश्री ने अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल व पुरस्कार व सम्मान प्राप्तकर्ताओं को प्रतिबोध प्रदान किया। आचार्यप्रवर ने इस अवसर पर पावन प्रतिबोध प्रदान करते हुए कहा कि किसी भी संस्था के निर्माण का अपना उद्देश्य होता है। यह अच्छा महिलाओं का संगठन है। कहीं तेरापंथ समाज की महिलाओं का प्रतिनिधित्व करना है तो अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल वह नेतृत्व करने में सक्षम प्रतीत हो रही है। जितना हो सके धार्मिक-आध्यात्मिक सेवा देने का गतिविधियों को व्यवस्थित रूप में संचालित करने का प्रयास होता रहे। कार्यक्रम का संचालन अखिल भारतीय तेरापंथ महिला मण्डल की मंत्री श्रीमती नीतू ओस्तवाल ने किया।